करंट से हाथी की मौत, बिजली कंपनी पर पैसे खर्च करने से बचने के आरोप, विद्युत और वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग | Elephant's death due to current, allegations of avoiding spending money on electricity company

करंट से हाथी की मौत, बिजली कंपनी पर पैसे खर्च करने से बचने के आरोप, विद्युत और वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

करंट से हाथी की मौत, बिजली कंपनी पर पैसे खर्च करने से बचने के आरोप, विद्युत और वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : June 16, 2020/1:53 pm IST

रायपुर। धरमजयगढ़ में आज हुई करंट से हाथी की मौत के मामले में एक वन्य जीव प्रेमी व रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए बड़ा आरोप लगाया है। प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए उन्होने कहा है कि विद्युत वितरण कंपनी न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए वन क्षेत्रों में मापदंडों से नीचे जा रही बिजली लाइनों तथा लटकते हुए तारों और बेयर कंडक्टर (नंगे तार) को कवर्ड तारों में बदलने के लिए 1674 करोड़ रुपए खर्च करने से बच रही है। जिसके कारण से हाथी समेत अन्य वन्य प्राणियों की मौतें करंट से हो रही हैं। उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के पश्चात कुल 157 हाथियों की मृत्यु हुई है जिसमें से 30% हाथियों की मृत्यु विद्युत करंट के कारण हुई है।

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क्या है रुपए 1674 करोड़ का मामला?

छत्तीसगढ़ में लगातार विद्युत करंट से हाथियों की हो रही मौतों के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका क्रमांक 5/2018 नितिन सिंघवी विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य नामक याचिका लंबित रहने के दौरान विद्युत वितरण कंपनी ने कहा था कि वन क्षेत्रों से नीचे जा रही विद्युत लाइनों और लटकते हुए तारों और बेयर कंडक्टर (नंगे तारों) को कवर्ड कंडक्टर में बदलने के लिए वन विभाग, विद्युत वितरण कंपनी को रुपए 1674 करोड़ रुपए दे तो वह एक वर्ष के अंदर में सभी सुधार कार्य कर देगी।

छत्तीसगढ़ शासन ने इस राशि की मांग भारत सरकार व पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से की। जिसके जवाब में भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्णयों का हवाला देते हुए पत्र लिखकर आदेशित किया कि छत्तीसगढ़ राज्य में टूटे विद्युत तार एवं झूलते हुए विद्युत लाइनों से हाथियों और अन्य वन्य प्राणियों की मृत्यु के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी जवाबदेह है तथा उपरोक्त वर्णित सुधार कार्य विद्युत वितरण कंपनी अपने वित्तीय प्रबंध से करेगी।

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एक वर्ष पूर्व 19 जून को प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी ने प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को भारत सरकार के निर्णय से अवगत करा दिया तथा 15 दिन के अंदर कार्य योजना तैयार कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी को भेजने को कहा। वहीं वन विभाग के प्रमुख सचिव ने भी प्रमुख सचिव ऊर्जा को पत्र लिखकर रुपए 1674 करोड़ स्वयं के वित्तीय प्रबंध से करके आवश्यक सुधार कार्य करने के लिए कहा अन्यथा न्यायालय के आदेश के अनुसार वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 एवं उसके अंतर्गत निर्मित नियम, इंडियन पेनल कोड 1860, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 तथा अन्य सुसंगत विधियों के अंतर्गत डिस्कॉम के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जावेगी।

सिंघवी ने आरोप लगाया कि विद्युत वितरण कंपनी ना तो सुधार कार्य करा रही है ना ही अपने वित्तीय प्रबंध से 1674 करोड़ की व्यवस्था कर रही है। हद तो तब हो गई जब वन विभाग लगातार ऊर्जा विभाग को पत्र लिख रहा था तो 9 माह पश्चात मार्च 2020 में ऊर्जा विभाग ने वन विभाग को पत्र लिखकर फिर कहा कि विद्युत वितरण कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार रुपए 1674 करोड़ उपलब्ध कराएं। इससे स्पष्ट है की विद्युत वितरण कंपनी न्यायालय के आदेश का पालन नहीं कर रही है तथा न्यायालयों के आदेशानुसार सुधार कार्य भी नहीं करा रही है जिससे हाथियों सहित अन्य वन्यजीवों की मौतें हो रही हैं।

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धरमजयगढ़ में हो रही हाथियों की विद्युत करंट से मौतों पर हाई कोर्ट पहले ही चिंता जता चुका है परंतु नहीं दिया गया ध्यान

याचिका के निर्णय दिनांक 12 मार्च 2019 में विद्युत करंट से हाथियों की मृत्यु धरमजयगढ़ क्षेत्र में अधिक होने के कारण धर्मजयगढ़ क्षेत्र में प्रगति पर ठोस कदम उठाने के निर्देश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दिए थे परंतु उसके बाद भी आज हाथी की मौत धर्मजयगढ़ के क्षेत्र में होने से ही स्पष्ट होता है कि विद्युत वितरण कंपनी किसी भी रुप से न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं कर रही है।

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करंट से 7 हाथियों की मौत के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा रुपए 4 करोड रुपए की पेनल्टी उड़ीसा विद्युत वितरण कंपनी पर लगाए जाने के निर्णय का हवाला देते हुए जून 2019 में छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी ने अपने सभी अधीनस्थों को पत्र लिखा कि विद्युत करंट से हाथियों व अन्य वन्य प्राणियों की हो रही मौतों के प्रकरणों में राज्य विद्युत वितरण कंपनी के जिला अधिकारियों के विरुद्ध वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972, इंडियन पेनल कोड 1860 एवं इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के अंतर्गत कोर्ट में चालान की कार्यवाही की जावे तथा विद्युत लाइन में हुकिंग करने से जिस भूस्वामी की जमीन पर वन्य प्राणी का मृत शरीर पाया जाता है उसको अपराधी मानते हुए कोर्ट चालान की कार्यवाही की जावे।

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प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने फील्ड के अपने समस्त अधिकारियों से यह जानना चाहा कि वर्ष 2019 में उन्होंने ऐसे प्रकरणों में विद्युत वितरण कंपनी और भू स्वामियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की है? परंतु पिछले एक वर्ष में 8 रिमाइंडर भेजे जाने के बाद में भी अधीनस्थों ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक को यह नहीं बताया कि विद्युत करंट से वन्य प्राणियों की मौत के मामले में उन्होंने क्या कार्रवाई की। इससे स्पष्ट है कि वन विभाग के फील्ड के अधिकारी विद्युत करंट से वन्यजीवों की मौत के मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं।

कार्यवाही की मांग
सिंघवी ने कहा कि धरमजयगढ़ में हो रही विद्युत करंट से हाथियों की मौत के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा भी चिंता बताए जाने के बावजूद आज हुई विद्युत करंट से हाथी की मौत के मामले में विद्युत वितरण कंपनी के इंजीनियर तथा वन विभाग के लापरवाह अधिकारी जिम्मेदार हैं इनके विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए।

नोट: ये वन्य जीव प्रेमी ​नितिन सिंघवी के निजी विचार हैं।