बस्तर में धूमधाम से गोंचा पर्व मनाया गया. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली गई. यात्रा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की खासी भीड़ देखने को मिली. बस्तर में हर साल गोंचा पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. भक्तों ने अपने हाथों से भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचकर शहर में घुमाया. माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए बस्तर के राजा पुरूषोत्तम देव पुरी गए थे, जहां भगवान ने उन्हे प्रसन्न होकर रथपति होने का आर्शीवाद दिया, तब से राजा ने बस्तर में गोंचा पर्व मनाने की शुरूवात की.
गोंचा का यह पर्व अपनी खास तुपकी के लिए जाना जाता है. मलकागंनी पेड़ के फलों से सुराहीनुमा बांस के जरिये लोग तुपकी बनाते हैं. इस तुपकी को चलाने से गुंज होती है, लोगों का मानना है. कि यह भगवान जगन्नाथ को सलामी देने के लिए तुपकी का इस्तेमाल किया जाता है. रथयात्रा के बाद 9 दिनों तक भगवान जगन्नाथ सिरहासार भवन में रखे जाएंगे. जहां पर्व के विभिन्न विधि विधान पूरे किए जांएंगे।