देश भर में मत्स्य पालन व्यवस्था खराब स्थिति में, जन स्वास्थ्य के लिए खतरा

देश भर में मत्स्य पालन व्यवस्था खराब स्थिति में, जन स्वास्थ्य के लिए खतरा

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  • Publish Date - January 31, 2021 / 08:14 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

पटना, 31 जनवरी (भाषा) मत्स्य पालन पर हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि मछली पालन केन्द्रों के खराब रख-रखाव, स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन नहीं होने तथा रसायनों के बेजा इस्तेमाल से देश भर में मछली खाने का शौक रखने वाले लोगों की सेहत पर गंभीर खतरा हो सकता है।

‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन’ (एफआईएपीओ) और ‘ऑल क्रीएचर्स ग्रेट एंड स्मॉल’ (एसीजीएस) ने संयुक्त रूप से यह अध्ययन किया है और इसमें देश में सर्वाधिक मत्स्य पालन करने वाले दस राज्यों के 250 केन्द्रों को शामिल किया गया है।

बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम जैसे राज्यों में स्वच्छ जल में और आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, गुजरात और पुडुचेरी जैसे राज्यों में स्वच्छ और खारे पानी दोनों में ही रहने वाली मछलियों का सर्वेक्षण किया गया।

एफआईएपीओ की कार्यकारी निदेशक वरदा मेहरोत्रा ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘ हमने इस क्षेत्र में स्तब्ध कर देने वाली स्थितियां देखीं। मछलियों को क्षतिग्रस्त और गंदे स्थानों पर रखा गया और अपशिष्ट निष्कासन की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें जिंदा ही काटा जाता है। मत्स्य पालन केन्द्रों से दूषित पानी को स्थानीय जल स्रोतों में बहाया जाता है इससे परजीवी आगे जाकर न सिर्फ मछली की आबादी को बल्कि इंसानों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।’’

उन्होंने कहा कि बिहार में पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय और पटना में 20 मत्स्य केन्द्रों की जांच की गई। सौ प्रतिशत केन्द्रों में सीसे और कैडमियम का स्तर काफी अधिक पाया गया जो जन स्वास्थ्य पैमाने पर बेहद खराब की श्रेणी में आता है।

सभी मत्स्य केन्द्रों में बुनियादी रख-रखाव में कमी और गंदगी पाई गई और इन केन्द्रों के पास खुले में लोग शौच के लिए जाते हैं। खराब व्यवस्था के कारण मछलियों का जीवन संकट में रहता है।

एसीजीएएस की प्रबंध न्यासी अंजलि गोपालन कहती हैं कि मांसाहारी पदार्थों के बाजार में उचित साफ-सफाई नहीं होने से भी महामारी, मलेरिया और अन्य प्रकार की बीमारियां फैलती हैं।

भाषा शोभना मानसी

मानसी