बालिका शिक्षा को मिला बढ़ावा: लिंगानुपात के अंतर में आई कमी, राज्य के 6,511 निजी स्कूलों में RTE के जरिए पढ़ रहे 3 लाख से अधिक छात्र
Girl's education got a boost: There has been a reduction in the gender ratio, more than 3 lakh students studying through RTE in 6,511 private schools of the state
रायपुर। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने आज निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ में मूलभूत एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम-2009 के अंतर्गत शिक्षा का अधिकार (आरटीई) की विगत 10 वर्षो में प्राप्त उपलब्धि की ‘इंडस एक्शन’ द्वारा तैयार रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट की सबसे सुखद बात राज्य में आरटीई के तहत बालिका शिक्षा को बढ़ावा मिलना है।
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बीते 10 सालों में राज्य में आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिंगानुपात में 7 फीसद की कमी आई है। वर्ष 2010-11 में विद्यार्थियों के लिंगानुपात के अंतर 10 प्रतिशत था जो वर्ष 2019-20 में घटकर मात्र 3 प्रतिशत रह गया है। आरटीई के तहत पात्र परिवारों के बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए शुरू किए गए वेबपोर्टल से दाखिले की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी हुई है। जिसके चलते बीते 3 वर्षों में आरटीई के तहत दाखिला लेने वालों की दर में साढ़े 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
शैक्षणिक सत्र 2020-21 में कोरोना के मुश्किल दौर में भी राज्य में आरटीई के तहत 52 हजार 260 छात्रों का दाखिला मिला है। उल्लेखनीय है कि आरटीई के अंतर्गत गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों के 25 प्रतिशत सीट पर अधिनियम के तहत आर्थिक एवं सामाजिक रूप से कमजोर एवं वंचित वर्गो के बच्चों का दाखिला लेना अनिवार्य है।
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स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा है कि आरटीई अधिनियम को लागू करने में छत्तीसगढ़ सबसे अग्रणी राज्य रहा है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में पिछले 10 वर्षों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम में किये कार्य और प्रभाव को दर्शाना है। यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ में उपलब्ध आरटीई पोर्टल पर उपस्थित जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। जिसमें समाज में आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर एवं वंचित वर्गों के बच्चे, जो कि इस अधिनियम का लाभ प्राप्त कर रहे हैं, उनके शिक्षा एवं समाजिक समावेश के स्तर में आए सुधार का मूल्यांकन किया गया है। मूल्यांकन के आधार पर कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिससे मौजूदा प्रक्रियाओं में किस प्रकार सुधार किए जा सकते हैं और अन्य प्रणालियों को निर्माण किया जा सकता है। इनके माध्यम से शिक्षा एवं सामाजिक समावेशन के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
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शिक्षा के अधिकार अधिनियम की स्थापना के बाद विगत 10 वर्षो में छत्तीसगढ़ में यह प्रभाव देखा गया कि स्कूलों में प्रवेश लेने वाले छात्रों में से 60 प्रतिशत छात्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और 40 प्रतिशत सामाजिक रूप से वंचित समूहों में से है। राज्य में एमआईएस पोर्टल की स्थापना 2017 में की गई, जिसके माध्यम से भर्ती प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया गया। ऑनलाइन लॉटरी प्रक्रिया की शुरूवात की गयी। राज्य में आरटीई से संबंधित किसी भी समस्या का निराकरण पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है।
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पोर्टल की स्थापना के बाद से बीते तीन शैक्षणिक वर्षों में सीट भरने की दर में 14.5 प्रतिशत की वृद्वि देखी गई है। आरटीई पोर्टल पर दर्ज संख्या के आधार पर यह पाया गया है, कि प्रारंभिक कक्षाओं के छात्रा उच्च कक्षाओं के छात्रों की तुलना में शैक्षणिक मूल्यांकन में बेहतर ग्रेड प्राप्त करते हैं। निजी स्कूलों में छात्रों की शैक्षणिक प्रदर्शन में शिक्षा का प्रकार एक मुख्य कारण है। राज्यभर में कुल 54 प्रतिशत छात्र अपना पाठ्यक्रम हिन्दी में, 44 प्रतिशत अंग्रेजी और 2 प्रतिशत द्विभाषी रूप से सीखते हैं। हिन्दी माध्यम के छात्र दूसरे माध्यम के तुलना में बेहतर प्रदर्शन एवं रैंक प्राप्त करते हैं।

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