भोपाल। मध्यप्रदेश में बीते कई दिनों से पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस, खाने का तेल सबसे लगातार बढ़ते दामों ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। घर का बिगड़ता बजट लोगों में आक्रोश बढ़ा रहा है।इसी को उभारकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरकर माहौल बना रहा है विपक्ष।समस्या गंभीर है,लोग इससे परेशान भी हैं।कांग्रेस का खुला आरोप है कि भाजपा सरकार इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है तो भाजपा के पास जवाब में आंकड़ों का अलग ही तस्वीर है।बड़ा सवाल है कि महंगाई पर आमजन को ये प्रदर्शन राहत दे पाएंगे।।
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ये तीन तस्वीरें प्रदेश के अलग अलग शहरों की है जहां पेट्रोल डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है। प्रदेश के अनूपपुर में सामान्य पेट्रोल 100 रुपए 20 पैसे मिल रहा है। बीते 45 दिनों में पेट्रोल डीजल की कीमतें 6 रुपए तक बढ़ चुकी है।1 जनवरी को पेट्रोल के दाम 91 रुपए 46 पैसे थे जबकि डीजल 81 रुपए 64 पैसे, जबकि 47 दिन बाद पेट्रोल के दाम 97 रुपए 50 पैसे और डीजल के दाम 88.86 हो गए हैं। यदि एलपीजी सिलेंडर को देखा जाए तो 1 जनवरी को जो सिलेंडर 700 रुपए में मिल रहा था उसकी कीमत अब 775 रुपए हो गई है ।कांग्रेस को उम्मीद है कि महंगाई के मुद्दे पर वो केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बना सकती है। इसलिए पार्टी ने 20 तारीख को प्रदेश बंद करवाने का फैसला लिया है और इसी सिलसिले में लगातार प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
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वैसे पेट्रोल डीजल को लेकर सबसे ज्यादा वैट मध्यप्रदेश में ही लगता है। मध्यप्रदेश में डीजल पर 23 फीसदी वैट, 3 रुपए एडिशनल ड्यूटी के अलावा एक प्रतिशत प्रति लीटर सेस और 31 रुपए 83 पैसे एक्साइज ड्यूटी लगती है जबकि पेट्रोल पर 33 फीसदी वैट के अलावा 4 रुपए 50 पैसे एडिशनल ड्यूटी। एक फीसदी प्रति लीटर सेस और 32 रुपए 98 पैसे एक्साइज ड्यूटी लगती है। पेट्रोलिएम पदार्थों में बढ़ोतरी का असर सीधे सीधे आम आदमी के घर पर पड़ा है।
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एक महीने पहले 105 रुपए किलो तुअर दाल अब 120 रुपए किलो मिल रही है।95 रुपए किलो मूंग दाल अब 110 रुपए किलो मिल रही है जबकि हर किस्म के चावल में 10 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। सोयाबीन तेल 115 की जगह 130।मूंगफली तेल 155 की जगह 170 रुपए। सरसों का तेल 145 की जगह 160 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है महंगाई को लेकर बीजेपी बचाव की स्थिति में है।पार्टी नेताओं का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार से तय होती है। किसान आंदोलन के साथ महंगाई का मुद्दा कांग्रेस के लिए सियासी तौर पर संजीवनी बन गया है। पार्टी को मालूम है कि ये दोनों ही ऐसे मुद्दे हैं जिनके जरिए आम आदमी तक पकड़ बनाई जा सकती है।