आचार्य स्वामी अवधेशानंद गिरीजी महाराज इस भाग में कह रहे हैं कि लोभ में अंत में भी एक अतृप्ति रहती ही है। सत्संग से जो आध्यात्मिक ऊर्जा है, उससे विषम से विषम कठिन से कठिन परिस्थियों में स्वयं को संभाल लेंगे।
आप से भूल नहीं होगी, आप दुर्लक्ष्य नहीं होंगे, विपरीय दोष नहीं आएगा। आप अपने संयम, सदाचार और मर्यादा को सहेज कर रखेंगे।
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वेब डेस्क, IBC24