लव-कुश के साथ विराजी हैं माता जानकी, यहां पूरी होती है नि: संतान दंपत्ति की मुराद

लव-कुश के साथ विराजी हैं माता जानकी, यहां पूरी होती है नि: संतान दंपत्ति की मुराद

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  • Publish Date - March 15, 2020 / 02:52 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:02 PM IST

अशोक नगर। मध्यप्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां माता सीता, भगवान राम के बिना विराजी हैं। अशोक नगर के करीला धाम में शायद दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां माता सीता और लव-कुश विराजे हुए हैं। रंगपंचमी के मौके पर यहां मेला का आयोजन किया जाता है। इस मेला की परंपरा बरसों से चली आ रही है। वहीं इस मंदिर की खास बात यह भी है कि, यह भक्तों की मन्नत पूरी होने पर वह राई नृत्य करवाते हैं। सिर्फ रंगपंचमी पर बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर में माता सीता के दर्शन करने आते हैं। हालांकि इस बार कोरोना की वजह से मेला आयोजन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती थी। इसके लिए प्रशासन ने मेला स्थल पर स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया और संदिग्धों की जांच की गई।

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मध्यप्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जहां राम के बिना सीता की पूजा होती है। ये दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है जिस में राम के बिना है माता सीता और लव कुश विराजे हैं। अशोक नगर के करीला धाम में माता सीता का मंदिर है । जहां रंग पंचमी पर मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला कई सालों से प्रचलन में है । इस मंदिर की खास बात यह है कि यह भक्तों की मन्नत पूरी होने पर वह राई नृत्य करवाते हैं। सिर्फ रंगपंचमी पर ही 15 से 20लाख भक्त इस मंदिर में माता सीता के दर्शन करने आते हैं, मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान उत्तरप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

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इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है बताया जाता है कि जब श्री राम ने माता सीता को वनवास दे दिया था तब लक्ष्मण उन्हें इसी जंगल में छोड़ गए और यहीं वाल्मीकि ऋषि का आश्रम था। माता सीता ने यहीं पर लव कुश को जन्म दिया। मान्यता है कि जब लव कुश का जन्म हुआ तब स्वर्ग से अप्सराओं ने आकर यहां पर बधाई नृत्य किया था । तब से लेकर आज तक यहा आने बाले भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर यहा बधाई नृत्य करवाते हैं। ढोल ओर नगाड़ों की थाप पर नृत्यांगनाएं राई नृत्य करती नजर आती हैं।

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मध्यप्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी हजारों की संख्या नृतकी इस मंदिर पर बधाई नृत्य करने आती हैं। इस मंदिर पर आने वाले भक्तों की मन्नत भी इस मंदिर में आने से पूरी हो जाती है। एक ही दिन में लाखों की संख्या में एक जुट होने वाले भक्तों की भीड़ इस मंदिर में में एक जुट होती है ।

भारी भीड़ से निपटना प्रशासन के लिये किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता। इस मंदिर की सुरक्षा ओर भक्तों की सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन की खासी तैयारियां रहती है जो तीन महीने पूर्व से ही शुरू हो जाती हैं। यहां रंगपंचमी के मौके पर हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाता है । सैकड़ो सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाती है ।