राज्यसभा में सांसद सरोज पाण्डेय ने लाया प्रस्ताव, एसिड अटैक पर कठोर दंड प्रावधान करने की मांग

राज्यसभा में सांसद सरोज पाण्डेय ने लाया प्रस्ताव, एसिड अटैक पर कठोर दंड प्रावधान करने की मांग

राज्यसभा में सांसद सरोज पाण्डेय ने लाया प्रस्ताव, एसिड अटैक पर कठोर दंड प्रावधान करने की मांग
Modified Date: November 29, 2022 / 08:28 pm IST
Published Date: March 13, 2020 5:26 pm IST

दुर्ग। राज्यसभा सांसद एवं भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डेय ने एसिड फेंकने वाले हमलों की बढ़ती संख्या को लेकर आज राज्यसभा में भारतीय दंड संहिता 1860 का और संशोधन कर एसिड हमलों (Acid Attack) के लिए दंड को बढ़ाते हुए इसमें और कठोर दंड देने का प्रावधान करने की मांग की और भारतीय दंड संहिता (संशोधन) विधेयक, 2020 का प्रस्ताव ला कर विधेयक को पुनः स्थापित किया।

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राज्यसभा सांसद सरोज पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत विधेयक में बताया गया है कि एसिड फेंकने वाले हमलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसका भारत में एक विशिष्ट लैंगिक आयाम है, एसिड फेंकना एक अत्यंत हिंसक अपराध है जिसके द्वारा अपराध करने वाले अपराधी का उद्देश्य पीड़ितों को गंभीर शारीरिक और मानसिक पीड़ा पंहुचाना होता है। यह अक्सर लड़कियों व महिलाओं के खिलाफ मन में घर कर चुकी ईर्ष्या या बदले की भावना से प्रेरित होता है।

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पीड़िता लक्ष्मी पर हुआ एसिड का हमला एक ऐसा उदाहरण है जो बताता है कि एसिड से होने वाले हमलों के मामलों में सामान्यतः क्या होता है। एक एसिड हमले का पीड़ित के जीवन पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ता है और वह अपने शेष जीवन में लगातार यातना, स्थायी क्षति और अन्य समस्याओं का सामना करता है। इसके पीड़ित सामान्य रूप से स्वयं को अयोग्य, भयभीत और बंधक महसूस करते हैं और अपनी कुरूपता के कारण सामाजिक रूप से बहिष्कृत हो जाते हैं।

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सन 2013 तक एसिड हमलों से जुड़े मामलों की संख्या का पता लगाने के लिए कोई स्पष्ट तंत्र नहीं था क्योंकि भारतीय दंड संहिता ने इसे एक अलग अपराध के रूप में मान्यता नहीं दी थी। भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एसिड हमले के अपराध पर विचार किया गया और ऐसे हमलों के आंकड़े का कोई अनुमान उपलब्ध नहीं था।

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दंड विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 के द्वारा भारतीय दंड संहिता में नई धाराएं 326क और 326ख अंतः स्थापित की गई और एसिड हमलों के प्रयोग को और एसिड फेंकने या फेंकने का प्रयास करने को घोर अपहति का विशिष्ट अपराध माना गया है। यह प्रमाण दिया जाता है कि भले ही पीड़ित सामान्य जीवन जीने के लिए तैयार हो, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि हमलें के बाद उनकी कुरूपता और निःशक्तता को देखते हुए समाज स्वयं उनके साथ सामान्य मनुष्यों की तरह व्यवहार करेगा।

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अतः भारतीय दंड संहिता में प्रस्तावित दंड अपर्याप्त है और इन हमलों के अपराधियों को कड़ी सजा देने और हमले के पीड़ित के मौद्रिक व आर्थिक पुनर्वास के लिए इसमें संशोधन की अत्यंत आवश्यकता है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com