IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2025: होनहार बेटियों को IBC24 ने दिया स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप, राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने साझा किए छात्र जीवन के अनुभव

IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2025: होनहार बेटियों को IBC24 ने दिया स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप, राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने साझा किए छात्र जीवन के अनुभव

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  • Publish Date - August 11, 2025 / 03:50 PM IST,
    Updated On - August 11, 2025 / 03:50 PM IST

IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2025 | Photo Credit: IBC24

भोपाल: IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2025 मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के नंबर वन न्यूज चैनल IBC24 ने आज प्रदेश के होनहार बेटियों को स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप प्रदान किया गया। मध्यप्रदेश की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में स्टेट टॉपर बेटी को 1 लाख रुपए, उनके स्कूल को 1 लाख रुपए और जिले में प्रथम आने वाली बेटियों को 50-50 हजार रुपए दिया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शामिल हुए। इस दौरान मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल शामिल हुए।

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IBC24 Swarna Sharda Scholarship 2025 कार्यक्रम में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि मेरी जो प्रिय ऑडियंस है मैं कहीं भी जब बोलना पसंद करता हूं तो वो यहां पर बैठी हुई है। इस तरफ में छोटे बच्चों वाली ना? बच्चों वाली और जो बच्चे देश का भविष्य है और देश के भविष्य में भी उस पड़ाव पर हैं। जिस पड़ाव से उनके आगे के आने वाले जीवन की धारा तय होने वाली है। तो मैं जब इन लोगों से बात कर रहा होता हूं या इनके लिए बोल रहा होता हूं, तो मैं अपने आप को उसी अवस्था में ले जाता हूं। जब मैं 15 16 साल का रहा होगा। 20 15 से 20 साल के बीच की उम्र में और उस समय का जो संघर्ष है। मन के अंदर का जो संघर्ष है वो मेरे स्वयं ने क्योंकि मैंने जिया है, स्वयं ने मैंने उसको भोगा है।

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अब भोगने का अर्थ दो होते हैं कि या तो जिसको दुख भोगना होता है या सुख भोगना। दुख और सुख में दोनों में ही भोग शब्द आता है, तो उसको हम जीवन के संघर्ष को फिर कैसे परिणित प्रदान कर सकते हैं। कैसे उसको हम आगे ले जा सकते हैं? अभी मैं चर्चा सुन रहा था और बहुत अच्छा उत्तर आदरणीय संजीव जी का मेरे को सुनने मिला था। सच्चिदानंद की बात कही थी उन्होंने। सत, चित्त और आनंद जो ईश्वर का स्वरूप है वह भी यही है। हम भी यही स्वरूप हैं।

तो मैं बच्चों से अक्सर कहता हूं आप जरूर प्रश्न कर रहे थे। सफलता के लिए और मैं एक बात कहता हूं कि सफलता के पीछे नहीं भागना है। सफलता नाम की कोई चीज नहीं है। सफलता केवल सीढ़ियां है। जो सीढ़ियां हम चलते हैं, वह सीढ़ियां है। जीवन सफलता प्राप्त करने के लिए नहीं बना है। जीवन सार्थकता के लिए बना है। जीवन को हमें किस पर उद्देश्य की सार्थकता के लिए जीना है। हम किस उद्देश्य को ले चल रहे हैं जो अभी आपके पैनलिस्ट थे सारे के सारे अपने जीवन में सफल हैं। लेकिन इनकी सफलता सफलता के पीछे दौड़ने के कारण नहीं बनी। इन सब ने किसी एक ऐसे उद्देश्य को ले काम किया। किसी ने शिक्षा के उद्देश्य को ले काम किया। किसी ने लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए अपना काम किया। वो जो सार्थकता है कि हम अपने जीवन की सार्थकता किस विषय के लिए खोजते हैं। अन्यथा आज के बच्चे थोड़ी सी बात में डिप्रेशन में आ जाते हैं और जितनी असफलताएं मैंने अपने जीवन में पाई हैं। अद्भुत सब असफलताएं पाई हैं। क्योंकि मेरा स्टाफ अच्छे से जानता है। जिस कार्यक्रम में जाता हूं मैं मैं निश्चित यही बोलता हूं कि मैंने यह भी कोशिश किया है। मैंने यह भी कोशिश किया है।

मैं हालांकि सिविल इंजीनियर हूं और जब पढ़ता था तब टॉपर था अपने यूनिवर्सिटी टॉपर रहा मैं लेकिन कई चीजों में मैंने असफलता पाई। मैं जो सिविल इंजीनियर बन गया और टॉपर सिविल इंजीनियर हूं। गोल्ड मेडलिस्ट हूं। लेकिन मैंने वकील बनने की कोशिश की। वकील नहीं बन पाया। मैं मैं एलएलबी की मैंने तीन साल पूरी पढ़ाई कर ली। लेकिन वो जो एग्रीगेट रहता है वो नहीं हो पाया तो मेरे को सनद नहीं मिली।

मैंने सेना में जाने की कोशिश की। सेना की प्रारंभिक परीक्षा में पास हो गया। लेकिन अंतिम परिणाम में मेरा नाम नहीं आया। ऐसे अनेकों प्रयास किए मैंने। यूपीएससी में प्रयास किया। नहीं निकले। कुछ प्रारंभिक सफलताएं मिली। बाद में नहीं मिली। ऐसे जीवन में अनेकों प्रयास किए और अंतत गतवा मैं बच्चों से मजाक में यह बात कहता भी हूं।