Brijmohan Agrawal Lok Sabha: ‘दुखी परिवारों के लिए इंसानियत जरूरी’,सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में उठाया पोस्ट मॉर्टम वाला मुद्दा, देखिए Video…

बृजमोहन अग्रवाल ने एक राष्ट्रीय स्तर की समस्या को जोरदार ढंग से उठाया और मांग की कि, पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट की पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह ऑटो डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए।

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  • Publish Date - December 4, 2025 / 06:26 PM IST,
    Updated On - December 4, 2025 / 06:27 PM IST

brijmohan agrawal lok sabha/ image source: BRIJMOHAN AGRAWAL X HANDLE

HIGHLIGHTS
  • सांसद ने पोस्ट–मॉर्टम रिपोर्ट ऑटो–डिजिटल की मांग की
  • CCTNS से जोड़कर रिपोर्ट सीधे मोबाइल पर
  • लंबी और भ्रष्टाचार भरी प्रक्रिया को खत्म करने का प्रस्ताव

Brijmohan Agrawal Lok Sabha: नई दिल्ली/रायपुर: लोकसभा में आज रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने एक राष्ट्रीय स्तर की समस्या को जोरदार ढंग से उठाया और सरकार तथा गृह मंत्रालय से मांग की कि इंश्योरेंस क्लेम, चोरी के मामलों और अप्राकृतिक मृत्यु जैसी परिस्थितियों में आवश्यक पुलिस रिपोर्टों और पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट की पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह ऑटो डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाए। सांसद ने कहा कि इस कदम से पीड़ित परिवारों को किसी भी प्रकार की देरी, भ्रष्टाचार या उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ेगा और उन्हें तुरंत आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्ध होंगे।

लोकसभा में सांसद ने क्या कहा ?

Brijmohan Agrawal Lok Sabha: सांसद अग्रवाल ने शून्यकाल में स्पष्ट किया कि जब किसी परिवार में अप्राकृतिक मृत्यु होती है, तो परिवार पहले ही दुख और मानसिक दबाव में होता है। ऐसे समय में उन्हें पोस्ट–मॉर्टम रिपोर्ट या अन्य आवश्यक दस्तावेज़ों के लिए पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाने पड़ते हैं, जो न केवल अमानवीय है बल्कि न्याय के साथ भी खिलवाड़ करता है। इसी प्रकार चोरी की घटनाओं में नॉन-ट्रेसेबल सर्टिफिकेट प्राप्त करना लंबी, थकाऊ और कई बार भ्रष्टाचार से भरी प्रक्रिया बन जाती है, जिससे इंश्योरेंस क्लेम महीनों तक अटक जाते हैं और पीड़ितों को आर्थिक और मानसिक परेशानी झेलनी पड़ती है।

पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट ऑटो डिजिटल की मांग की

Brijmohan Agrawal Lok Sabha: सांसद ने कहा कि यदि इन प्रक्रियाओं को पूर्णत: डिजिटल किया जाए, तो मानवीय हस्तक्षेप समाप्त होगा और शोषण की संभावना स्वतः खत्म हो जाएगी। उन्होंने इस मुद्दे की गंभीरता को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह केवल किसी एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की प्रणालीगत विफलता है। सांसद ने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को रिश्वतखोरी के मामलों में स्वतः संज्ञान लेना पड़ा और कर्नाटक सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी को नोटिस जारी करना पड़ा था।

CCTNS से जोड़कर रिपोर्ट सीधे मोबाइल पर

Brijmohan Agrawal Lok Sabha: सांसद अग्रवाल ने प्रस्ताव दिया कि इन सभी सेवाओं को CCTNS (Crime & Criminal Tracking Network & Systems) से जोड़ा जाए, ताकि पुलिस द्वारा जारी सभी रिपोर्टों की ऑटो-डिलीवरी सीधे पीड़ितों के मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराई जा सके। इसके साथ ही उन्होंने प्रक्रिया को समयबद्ध, पारदर्शी और ट्रैक करने योग्य बनाने की भी मांग की, जिससे नागरिकों को अपनी रिपोर्ट की स्थिति हर समय पता हो और उन्हें किसी भी अनावश्यक झंझट या भ्रष्टाचार का सामना न करना पड़े।

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सांसद ने किस रिपोर्ट के लिए मांग की?

पोस्ट–मॉर्टम और नॉन-ट्रेसेबल पुलिस रिपोर्ट।

ऑटो–डिजिटल प्रक्रिया क्यों जरूरी है?

देरी, भ्रष्टाचार और उत्पीड़न रोकने के लिए।

प्रस्तावित प्रणाली CCTNS से कैसे जुड़ेगी?

पुलिस रिपोर्टें सीधे मोबाइल पर उपलब्ध होंगी।