Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary : आज के ही दिन हुई थी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा.. लेकिन नहीं मनाई जाएगी पहली वर्षगांठ, जानें क्या है वजह

Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary : आज के ही दिन हुई थी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा.. लेकिन नहीं मनाई जाएगी पहली वर्षगांठ |

Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary : आज के ही दिन हुई थी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा.. लेकिन नहीं मनाई जाएगी पहली वर्षगांठ, जानें क्या है वजह

Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary | File Photo

Modified Date: January 22, 2025 / 09:45 am IST
Published Date: January 22, 2025 9:45 am IST

अयोध्या। Ram Mandir Pran Pratishtha Anniversary : श्रीराम की नगरी अयोध्या में राम मंदिर और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को आज पूरा एक साल हो गया है। पिछले साल 22 जनवरी 2024 को ही अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। लेकिन आज प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ का उत्सव नहीं मनाया जाएगा, क्योंकि यह उत्सव पहले ही 11 जनवरी को मनाया जा चुका है। बता दें कि रामलला विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ भारतीय काल गणना के अनुसार मनाई जाएगी।

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आज क्यों नहीं मनाई जाएगी प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ?

22 जनवरी 2025 को रामलला प्राण प्रतिष्ठा दिवस नहीं मनाया जाएगा क्योंकि ये दिवस पहले ही 11 जनवरी 2025 को प्रतिष्ठा द्वादशी के नाम से मनाया जा चुका है। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वर्षगांठ हिंदू त्योहारों की तरह मनाने का निर्णय लिया गया है। जैसे दिवाली, होली, जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि… जैसे सभी हिंदू त्योहार हिंदू तिथि के हिसाब से मनाए जाते हैं वैसे ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सालगिरह भी एक खास तिथि पर मनाई जाएगी और ये विशेष तिथि है पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी। जो इस बार 11 जनवरी को पड़ी थी। इसलिए ही इस साल प्रतिष्ठा द्वादशी का त्योहार 22 की जगह 11 जनवरी को मनाया गया था।

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गौरतलब है कि, भक्तों के करीब 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद जन्मभूमि पर भगवान राम अपने इस भव्य मंदिर में विराजमान हुए थे। यह देख सभी की आंखें नम हो गई थी। संपूर्ण विश्‍व में यह दृश्य देखा गया था। देखा जाए तो इस मंदिर को पूरा करके रामलला की मूर्ति स्थापित करना किसी चमत्कार से भी कम नहीं था।

राममंदिर का विवरण

– मंदिर परंपरागत नागर शैली में निर्मित
– मंदिर की लंबाई पूर्व-पश्चिम 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट एवं ऊंचाई 161 फीट
– तीन मंजिला मंदिर, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट, कुल 392 स्तंभ, 44 दरवाजे
– भूतल गर्भगृह- प्रभु श्रीराम के बाल रूप यानी रामलला का विग्रह, प्रथम तल- श्रीराम दरबार
– कुल पांच मंडप- नृत्यमंडप, रंग मंडम, गूढ़ मंडप, प्रार्थना मंडप, कीर्तिन मंडप
– खंभे, दीवारों में देवी-देवता व देवांगनाओं की मूर्तियां
– प्रवेश पूर्व से, 32 सीढि़यां ऊंचाई 16. 5 फीट चढ़कर सिंहद्वार से।
– दिव्यांगजन व वृद्धों के लिए रैंप व लिफ्ट की व्यवस्था
– चारों ओर आयताकार परकोटा- लंबाई 732 मीटर, चौड़ाई 4. 25 मीटर, ऊंचाई 14 फीट
– परकोटा में छह मंदिर- चारों कोनों पर चार मंदिर- भगवान सूर्य, शंकर, गणपति, देवी भगवती
– परकोटे की दक्षिणी भुजा में हनुमान एवं उत्तरी भुजा में अन्नपूर्णा माता का मंदिर
– मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप
– सप्त मंडपम में सात मंदिरों- महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी एव देवी अहिल्या
– दक्षिणी-पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीले पर स्थिति शिव मंदिर का जीर्णेाद्धार एवं जटायु राज की प्रतिमा

 

 


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years