Ayodhya Sapt Mandir: गुरु से मित्र तक! अयोध्या के सप्त मंदिर में छुपा है प्रभु राम का सबसे बड़ा रहस्य! जो शायद ही किसी ने देखे हों…
अयोध्या के राम मंदिर परिसर में सप्त मंदिर में भगवान राम के जीवन के सात प्रमुख मार्गदर्शक और साथी विराजमान हैं। इसमें महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुह और माता शबरी के मंदिर शामिल हैं। ये सभी राम जी के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव और प्रेरणा स्रोत हैं।
(Ayodhya Sapt Mandir / Image Credit: Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra X)
- धर्म ध्वज स्थापना: आज विवाह पंचमी पर अयोध्या के राम मंदिर में।
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:45 से दोपहर 12:29 बजे तक।
- सप्त मंदिर: राम के जीवन के 7 प्रमुख मार्गदर्शक और भक्तों को समर्पित।
अयोध्या: Ayodhya Sapt Mandir: आज विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या के दिव्य राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज स्थापित किया गया। इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित थे और उन्होंने अभिजीत मुहूर्त में धर्म ध्वज की स्थापना की। समारोह से पहले राम मंदिर परिसर के सप्त मंदिर में दर्शन और पूजन का विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ।
सप्त मंदिर का परिचय
राम मंदिर परिसर में स्थित सप्त मंदिर भगवान राम के जीवन के सात प्रमुख मार्गदर्शक और सहयोगियों को समर्पित है। यहां महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहिल्या, निषादराज गुह और माता शबरी के मंदिर हैं। ये सभी राम जी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गुरु, भक्त और मित्र माने जाते हैं।
महर्षि वशिष्ठ
महर्षि वशिष्ठ भगवान राम के राजगुरु थे और उन्हें ब्रह्मा जी का मानस पुत्र कहा जाता है। वे त्रिकालदर्शी और महान तपस्वी थे। उन्होंने राम को वेद, धर्म शास्त्र और नीतिशास्त्र की शिक्षा दी। इसके अलावा समय-समय पर उन्होंने राजा दशरथ को मार्गदर्शन भी प्रदान किया।
महर्षि विश्वामित्र
महर्षि विश्वामित्र ने राम और लक्ष्मण को अस्त्र-शस्त्र और दिव्यास्त्रों की शिक्षा दी। वे पहले क्षत्रिय थे और अपने तप से ब्रह्मर्षि की उपाधि प्राप्त की। उनके मार्गदर्शन में राम-लक्ष्मण ने कई राक्षसों का वध किया और वे ही राम को सीता के स्वयंवर तक ले गए।
अगस्त्य मुनि
वनवास के समय राम की मुलाकात अगस्त्य मुनि से हुई। उन्होंने राम को रावण वध के लिए दिव्य अस्त्र प्रदान किए, जिनमें धनुष, बाण, तलवार और अमोघ कवच शामिल थे। अगस्त्य मुनि ने लंका विजय के मार्गदर्शन में भी राम की सहायता की।
महर्षि वाल्मीकि
महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की। राम के वनवास के दौरान जब सीता ने उनका आश्रम शरण लिया, वहीं लव और कुश का जन्म हुआ। वाल्मीकि ने उन्हें शास्त्र, वेद और युद्ध कौशल की शिक्षा दी।
देवी अहिल्या
वनवास के समय राम के स्पर्श से देवी अहिल्या अपने पत्थर रूप से मुक्त हुईं। गौतम ऋषि द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति पाने का यह समय राम के जीवन की महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।
निषादराज गुह
निषादराज गुह ने राम, लक्ष्मण और सीता को गंगा नदी पार कराने में सहायता की। उन्होंने राम के चरण धोकर उनका सम्मान किया। निषादराज गुह की यह भक्ति और मित्रता राम के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
माता शबरी
माता शबरी ने राम के लिए मीठे बेर तैयार किए और पहले स्वयं उन्हें चखा। यह उनके निष्छल भक्ति भाव का प्रतीक है। राम ने उनका प्रेम समझा, जबकि लक्ष्मण जी अनभिज्ञ रहे। माता शबरी का जीवन पूर्णत: राम भक्ति और सेवा में व्यतीत हुआ।
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