हिंदू नेताओं को घृणा फैलाने वाला कहने वाले के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से अदालत का इनकार |

हिंदू नेताओं को घृणा फैलाने वाला कहने वाले के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से अदालत का इनकार

हिंदू नेताओं को घृणा फैलाने वाला कहने वाले के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से अदालत का इनकार

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : June 13, 2022/9:44 pm IST

लखनऊ, 13 जून (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ट्विटर पर तीन हिंदू संतों यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को कथित नफरत फैलाने वाला कहने पर ‘आल्ट न्यूज’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबेर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इंकार कर दिया है।

उच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि प्राथमिकी के अनुसार पहली नजर में प्रतीत होता है कि जुबेर ने अपराध किया है और मामले की जांच करने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की अवकाशकालीन पीठ ने जुबैर की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड के अवलोकन से प्रथम दृष्टया इस स्तर पर याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध का पता चलता है और ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में जांच के लिए पर्याप्त आधार है।

हिंदू नेताओं की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने के आरोप में जुबैर के खिलाफ सीतापुर जिले के खैराबाद थाने में आईपीसी की धारा 295 (ए) और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एक जून 2022 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

याचिकाकर्ता जुबैर ने प्राथमिकी को चुनौती देते हुए कहा कि उनके ट्वीट ने किसी वर्ग के धार्मिक विश्वास का अपमान या अपमान करने का प्रयास नहीं किया था और याचिकाकर्ता के खिलाफ सिर्फ परोक्ष उद्देश्य से उत्पीड़न के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी। याचिका का विरोध करते हुए सरकारी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि जुबैर एक आदतन अपराधी है और उसका चार आपराधिक मामलों का आपराधिक इतिहास है।

याचिकाकर्ता की दलीलों को ठुकराते हुए पीठ ने कहा कि साक्ष्‍य एक गहन जांच के बाद एकत्र किया जाना चाहिए और संबंधित अदालत के समक्ष रखा जाना चाहिए। उन तथ्यों की सत्‍यता विवेचना या विचारण में ही साबित हो सकती हैं अतः प्राथमिकी को खारिज करने का कोई औचित्य नहीं है।

भाषा सं आनन्द अर्पणा

अर्पणा

 

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