अदालत ने उप्र के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती का ब्योरा तलब किया

अदालत ने उप्र के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती का ब्योरा तलब किया

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  • Publish Date - October 14, 2025 / 12:29 AM IST,
    Updated On - October 14, 2025 / 12:29 AM IST

लखनऊ, 13 अक्टूबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राज्य के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में लगभग पाँच हज़ार डॉक्टरों की कमी का मामला सामने आने के बाद, ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ का ब्योरा तलब किया है।

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने विराज खंड रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी द्वारा 2017 में दायर एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिका में राज्य में मरीजों की उचित देखभाल के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी।

याचिका पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संवर्ग में डॉक्टरों के 19,659 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 11,018 डॉक्टर नियमित आधार पर कार्यरत हैं, जिनमें से 283 पुनर्नियुक्ति के आधार पर और 404 ‘‘वॉक-इन इंटरव्यू’’ के माध्यम से कार्यरत हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि 2,508 डॉक्टर ‘एनएचएम’ के माध्यम से कार्यरत हैं, जिससे राज्य में डॉक्टरों की कुल संख्या 14,213 हो जाती है।

पीठ ने कहा कि ये आंकड़े स्पष्ट रूप से राज्य में कम से कम पाँच हज़ार सरकारी डॉक्टरों की कमी दर्शाते हैं। पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में योग्य डॉक्टरों की उपलब्धता निवासियों के स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

अदालत ने राज्य सरकार को एक हलफनामा दाखिल करने और राज्य के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों का ज़िलावार ब्यौरा, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के स्वीकृत पदों और कार्यरत कर्मियों की संख्या बताने का आदेश दिया।

मामले की अगली सुनवाई दो महीने बाद होगी।

भाषा सं आनन्द अविनाश

अविनाश