ददरी मेले को अगले साल से सरकारी मेले के रूप में मनाया जाएगा: उत्तर प्रदेश के मंत्री

सरकारी मेले के रूप में मनाया जाएगा ददरी मेला, प्रदेश के मंत्री ने किया ऐलान

सरकारी मेले के रूप में मनाया जाएगा ददरी मेला, प्रदेश के मंत्री ने किया ऐलान : Dadri fair will be celebrated as government fair

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:08 PM IST, Published Date : November 18, 2022/6:00 am IST

बलिया : Dadri Mela 2022 : बलिया में हर वर्ष लगने वाले ऐतिहासिक ददरी मेले को अगले साल से सरकारी मेला घोषित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह ने यह जानकारी दी। इस साल आठ नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के साथ शुरू हुआ यह मेला 30 नवंबर को समाप्त होगा। सिंह ने बताया कि सरकार अगले साल से इसे सरकारी मेला घोषित करेगी और इसके आयोजन के लिए ददरी मेला प्राधिकरण बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में अपने बलिया दौरे में महर्षि भृगु गलियारे के लिए जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगा था। उन्होंने कहा कि अगले साल से यह मेला और भव्य स्वरूप में दिखाई देगा।

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बलिया के ददरी मेला का इतिहास बहुत पुराना है और इस मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। बलिया में गंगा और सरयू के मिलन का साक्षी ददरी मेला हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होता है। लंपी रोग फैलने की आशंका के मद्देनजर इस बार पशु मेला नहीं लगाये जाने से मेले पर असर पड़ा है, लेकिन रोजाना उमड़ रही लोगों की भीड़ इस मेले को जीवंत बनाए हुए है। ददरी मेले के आयोजन के संबंधित विभिन्न मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु को पैर से मारने के बाद महर्षि भृगु को श्राप से मुक्ति इसी क्षेत्र में ही मिली थी।

ददरी मेले पर आधा दर्जन से ज्यादा किताबें लिखने वाले इतिहासकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ऐसी भी मान्यता है कि महर्षि भृगु ने अपने शिष्य दर्दर मुनि के जरिए अयोध्या से सरयू नदी को बलिया लाकर कार्तिक पूर्णिमा के दिवस ही गंगा और सरयू नदी का संगम कराया था। उन्होंने बताया कि इसी तट पर दर्दर मुनि के नेतृत्व में यज्ञ हुआ था, जो एक माह तक चला था। उन्होंने बताया कि इस यज्ञ में 88 हजार ऋषियों का समागम हुआ था और यहीं पर महर्षि भृगु ने ज्योतिष की विख्यात पुस्तक भृगु संहिता की रचना की थी।

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कौशिकेय ने बताया कि यज्ञ के बाद से ही 5,000 वर्ष ईसा पूर्व ददरी मेले की शुरुआत हुई। उन्होंने बताया कि 1707 ईसवी में मुगल सम्राट अकबर ने इस मेले में मीना बाजार स्थापित किया था और बलिया के जिला बनने के बाद साल 1889 से इस मेले का आयोजन जिला प्रशासन और नगर पालिका परिषद की तरफ से किया जा रहा है। टाउन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. अखिलेश सिन्हा ने बताया कि ददरी मेले की ऐतिहासिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीनी यात्री फाह्यान ने इस मेले का जिक्र अपनी एक पुस्तक में किया है।

ददरी मेले का पशु बाजार देश एवं दुनिया में मशहूर है, लेकिन इस बार लंपी संक्रमण के चलते इसका आयोजन नहीं किया गया है। बलिया नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी सत्य प्रकाश सिंह ने बताया कि पशुओं में लंपी रोग के कारण इस बार ददरी मेले में पशु मेला नहीं लगाया गया है। अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गा प्रसाद तिवारी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के दिवस पर तकरीबन तीन लाख श्रद्धालुओं ने ददरी मेले में भाग लिया।