non-bailable warrants against the former minister: बलिया (उत्तर प्रदेश), 3 जनवरी । बलिया की एक स्थानीय अदालत ने एक छात्र नेता की हत्या के प्रयास के नौ साल पुराने मामले में पूर्व मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता आनंद स्वरूप शुक्ला सहित दो आरोपियों के विरुद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 (फरार व्यक्ति के लिए उदघोषणा) के तहत आदेशिका जारी करने व सभी चार आरोपियों के विरुद्ध गैर जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश दिया है।
छात्र नेता सुधीर ओझा के अधिवक्ता दिनेश तिवारी ने मंगलवार को बताया कि स्थानीय एमपी/एमएलए अदालत के विशेष न्यायाधीश हुसैन अहमद अंसारी की अदालत में आनंद स्वरूप शुक्ला सहित चार आरोपी सोमवार को हाजिर नहीं हुए। उन्होंने बताया कि एक आरोपी अविनाश सिंह जिला कारागार से न्यायिक अभिरक्षा में उपस्थित हुआ।
उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा अदालत को आख्या प्राप्त कराया गया कि आरोपी आनंद स्वरूप शुक्ला व विवेक सिंह दबिश दिए जाने पर मिले नहीं। अन्य दो आरोपियों के संबंध में पुलिस ने कोई आख्या प्राप्त नहीं कराया।
उन्होंने बताया कि पूर्व मंत्री शुक्ला की तरफ से उनके अधिवक्ता राजेंद्र त्रिपाठी अदालत में उपस्थित हुए तथा उनके द्वारा यह कहा गया कि वह नियत तिथि पर अभियुक्त शुक्ला को पेश करेंगे। इसके लिए समय दिया जाय।
तिवारी ने बताया कि उन्होंने बताया कि विशेष न्यायाधीश हुसैन अहमद अंसारी की अदालत ने सोमवार को समस्त तथ्य व परिस्थितियों को देखते हुए आरोपी आनंद स्वरूप शुक्ला व विवेक सिंह के विरुद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत आदेशिका जारी करने व सभी चार आरोपियों के विरुद्ध पांचवी बार गैर जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश दिया है।
non-bailable warrants against the former minister: अदालत ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर पेश करने का आदेश दिया है तथा मामले में अतिरिक्त आरोप के विरचन व हाजिरी के लिए नौ जनवरी का समय निर्धारित किया है। इसके साथ ही दो आरोपियों के संबंध में पुलिस से कोई आख्या प्राप्त नहीं होने पर संबंधित थानाध्यक्ष के कृत्य को अदालत ने अत्यंत आपत्तिजनक करार दिया है।
उल्लेखनीय है कि छात्र नेता सुधीर ओझा ने भाजपा नेता आनंद स्वरूप शुक्ला सहित पांच आरोपियों के विरुद्ध बलिया शहर कोतवाली क्षेत्र के सतीश चन्द्र महाविद्यालय में 15 जनवरी, 2013 को हत्या का प्रयास करते हुए चाकू से हमला करने का मुकदमा दर्ज कराया था।
एमपी/एमएलए अदालत ने गत 22 नवम्बर को अपने फैसले में शुक्ला सहित पांच आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 ( जान लेने की नीयत से हमला ) व 149 ( जन समूह द्वारा विधि विरुद्ध किया गया अपराध ) के तहत दंडनीय अपराध का अतिरिक्त आरोप विरचित करने का आदेश दिया था।
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