अंतरिक्ष यात्री शुभांशु के धरती पर लौटने पर लखनऊ में देशभक्ति के नारे गूंजे, जश्न का माहौल

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु के धरती पर लौटने पर लखनऊ में देशभक्ति के नारे गूंजे, जश्न का माहौल

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  • Publish Date - July 15, 2025 / 04:08 PM IST,
    Updated On - July 15, 2025 / 04:08 PM IST

लखनऊ, 15 जुलाई (भाषा) अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला वाणिज्यिक ‘एक्सिओम-4 मिशन’ को पूरा करने के बाद मंगलवार को पृथ्वी पर लौट आए और इस खुशी में उनके गृह नगर लखनऊ में हर जगह जश्न का माहौल है।

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और वाणिज्यिक ‘एक्सिओम-4 मिशन’ के उनके तीन अन्य साथी मंगलवार को पृथ्वी पर लौट आए। ड्रैगन ‘ग्रेस’ अंतरिक्ष यान दक्षिणी कैलिफोर्निया में सैन डिएगो के नजदीक समुद्र में उतरा।

शुभांशु के गृहनगर लखनऊ में इस उपलब्धि पर देशभक्ति के नारे गूंज उठे और लोगों ने एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई दी।

उनके पूर्व विद्यालय सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के कानपुर रोड परिसर में भी लोगों ने जश्न मनाया। शुभांशु के परिवार के सदस्यों के साथ-साथ छात्रों, शिक्षकों और गणमान्य व्यक्तियों ने भारतीय झंडे लहराकर कैप्सूल के प्रशांत महासागर में उतरने का स्वागत किया।

शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला और उनकी मां आशा की आंखों में खुशी के आंसू देखे गए, जबकि उनकी बहन सुचि मिश्रा ने नम आंखों और हाथ जोड़कर अपने भाई के उतरने का स्वागत किया।

शंभू शुक्ला ने कहा, ‘‘वह अंतरिक्ष में गया और वापस आया है और हम बहुत खुश हैं क्योंकि इस मिशन का देश के गगनयान कार्यक्रम के लिए अपना महत्व है।’’

शुभांशु की मां आशा देवी अपने बेटे की असाधारण उपलब्धि पर भावुक हो गईं।

सुचि ने कहा, ‘‘पिछले 18 दिन हमने अपने भाई की अंतरिक्ष यात्रा के बारे में इतनी बातें की कि अब जब लैंडिंग हुई तो हमारे पास शब्द नहीं हैं। यह जानकर बहुत सुकून मिलता है कि मेरे भाई ने देश के लिए जो कुछ भी हासिल करने का लक्ष्य रखा था, वह हासिल हो गया है।’’

शुभांशु के परिवार तथा सीएमएस प्रबंधन ने केक काटकर खुशियां बांटीं और जैसे ही अंतरिक्ष यान समुद्र में उतरा तो स्वागत में जयकारे लगे और वहां मौजूद खड़े होकर तालियां बजाने लगे।

सीएमएस प्रबंधक प्रो. गीता गांधी किंगडन ने कहा, ‘‘शुभांशु की सफलता ने हमारे छात्रों की कल्पनाशीलता को प्रज्वलित किया है। वह सीएमएस के आदर्श वाक्य ‘‘जय जगत’’ का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं और दर्शाते हैं कि अंतरिक्ष कोई कल्पना नहीं है-यह हमारा भविष्य है।’’

भाषा मनीष किशोर आनन्द खारी

खारी