BJP karyasamiti baithak
नई दिल्ली। Uttar Pradesh by-election 2022 : उत्तरप्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पूरी तैयारी कर ली है। चुनावी मैच में अपना कब्जा करने के लिए भाजपा ने प्रचार के लिए मंत्रियों की फौज तैयार कर ली है इतना ही नहीं इन मंत्रियों के सहारे बीजेपी ने अपना मास्टर चुनावी प्लान बनाया है। जिसके सहारे उपचुनाव की सभी सीटों पर जीत मिल सके। केंद्रीय मंत्रियों को भी इन तीन सीटों पर प्रचार करने के लिए उतारा जाएगा। संगठन के बड़े पदाधिकारी भई इन तीन सीटों पर बूथ प्रबंधन संभालेंगे। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भी तीनों सीट पर चुनाव प्रचार करेंगे। उपचुनाव में भाजपा यूपी के मंत्रियों की फौज उतारेगी, जो सरकार के काम और चुनावी मुद्दों पर प्रचार करेंगे। यूपी के मंत्रियों को अलग-अलग सीट की जिम्मेदारी दी गयी है, जो क्षेत्र में चुनाव प्रचार को मजबूत करेंगे।
Uttar Pradesh by-election 2022 : सूत्रों के मुताबिक कपिलदेव अग्रवाल, नरेंद्र कश्यप, जसवंत सैनी, सोमेंद्र तोमर, बृजेश सिंह, दिनेश खटीक, गुलाब देवी और अन्य खतौली की जिम्मेदारी संभालेंगे। वहीं, बलदेव औलख, जितिन प्रसाद, सुरेश खन्ना, धर्मपाल सिंह, जेपीएस राठौड़, दानिश आजाद को रामपुर की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा मैनपुरी का जिम्मा अजीत पाल, राकेश सचान, असीम अरुण, प्रतिभा शुक्ला, जयवीर सिंह, संदीप सिंह, रामकेश निषाद, मन्नू कोरी, आशीष पटेल और कई नेताओं को मिली है।
Uttar Pradesh by-election 2022 : कुढ़नी उप चुनाव में बीजेपी का कोर वोटर वाला अति पिछड़ा कार्ड सब पार्टियों पर पर भारी दिख रहा है। बीजेपी के परंपरागत वोटर सवर्ण और वैश्य के साथ-साथ अति पिछड़ा समाज से आने वाले को टिकट दिया है। वैसे कुढ़नी की बात करें तो 2015 वाला ही दृश्य है। यानी जदयू की तरफ से मनोज कुशवाहा हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी ने अति पिछड़ा समाज से आने वाले केदार प्रसाद गुप्ता को मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव (2015) में केदार प्रसाद गुप्ता ने मनोज कुशवाहा को हराया था। फिर एक बार दोनो आमने-सामने हैं। परिणाम क्या होगा यह देखने वाली बात होगी।
महागठबंधन ने पिछड़ा समाज से आने वाले कुशवाहा बिरादरी से आने वाले मनोज कुशवाहा को टिकट दिया है। भाजपा ने अति पिछड़ा कार्ड खेलते हुए केदार प्रसाद गुप्ता को उतारा है, जो अति पिछड़ा कानू बिरादरी से आते हैं। इस इलाके में अति पिछड़ों को संख्या काफी है इस तरह से भाजपा सवर्ण के साथ अति पिछड़ों को भी साधने की कोशिश में है। ऐसे में भाजपा का यह सोशल इंजनियारिग वाला फार्मूला कितना फिट बैठता है। चुनावी परिणाम आने के बाद ही क्लियर होगा।