अलीगढ़, छह मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में होली मनाने के संबंध में दक्षिणपंथी हिंदू समूह के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
करणी सेना के सदस्यों ने एएमयू के अधिकारियों पर परिसर में ‘हिंदू विद्यार्थियों को होली मिलन समारोह आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार करने’ का आरोप लगाया।
सदस्यों ने होली मिलन समारोह के लिए एक दिन पहले यानि बुधवार को विश्वविद्यालय से अनुरोध किया था।
करणी सेना के सदस्यों ने जिला कलेक्ट्रेट तक मार्च किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए एक ज्ञापन सौंपा।
अपर जिलाधिकारी (एडीएम) नगर अमित कुमार को सौंपे गए ज्ञापन में इस मामले में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया और एएमयू के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया गया, जिन्होंने हिंदू विद्यार्थियों को अनुमति देने से कथित तौर पर इनकार किया।
यह विवाद बुधवार को उस समय शुरू हुआ, जब हिंदू छात्र नेता अखिल कौशल ने एएमयू अधिकारियों को एक आवेदन देकर ‘नॉन-रेजिडेंट हॉल’ में एक विशेष होली समारोह आयोजित करने की अनुमति मांगी।
यह कार्यक्रम नौ मार्च को आयोजित किया जाना था।
कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि वह ‘ज्ञापन की विषय-वस्तु के बारे में एएमयू अधिकारियों को अवगत कराएंगे।’
एएमयू के वरिष्ठ अधिकारियों ने हालांकि करणी सेना द्वारा लगाए गए आरोपों का दृढ़ता से खंडन करते हुए दावा किया कि होली हमेशा की तरह विभिन्न रेजिडेंट हॉल में पारंपरिक तरीके से मनाई जाएगी।
एएमयू के प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा, “परंपरागत रूप से ईद, होली और दिवाली सहित सभी त्यौहार सभी छात्रावासों में मनाए जाते हैं। किसी विशेष समूह के लिए विशेष समारोह आयोजित करने का कोई उदाहरण नहीं है। इस समय, हमने एक नई मिसाल शुरू करना उचित नहीं समझा, क्योंकि इससे किसी भी बहाने से ऐसी अनुमतियों का दुरुपयोग हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि त्यौहार खुशी और उत्सव के अवसर होते हैं, जिसमें सभी वर्ग सद्भावना फैलाने के लिए एक साथ आते हैं और इन सदियों पुरानी परंपराओं के प्रति एएमयू की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
वसीम अली ने परिसर में विद्यार्थियों के बीच किसी भी तरह की हाथापाई की खबरों को भी सिरे से नकारते हुए कहा, “किसी भी दो समूहों के बीच कोई संघर्ष या हिंसा नहीं हुई है।’’
भाषा सं जफर जितेंद्र
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