बांग्लादेश उच्चतम न्यायालय ने 1971 के युद्ध अपराधों के लिए मौत की सजा पाए जमात नेता को बरी किया

बांग्लादेश उच्चतम न्यायालय ने 1971 के युद्ध अपराधों के लिए मौत की सजा पाए जमात नेता को बरी किया

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  • Publish Date - May 28, 2025 / 12:51 PM IST,
    Updated On - May 28, 2025 / 12:51 PM IST

ढाका, 28 मई (भाषा) पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के मुक्ति संग्राम से संबंधित युद्ध अपराध के मामले में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को पलटते हुए बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी के एक वरिष्ठ नेता को इस मामले में बरी कर दिया।

एटीएम अजहरुल इस्लाम को शीर्ष अदालत के अपीलीय प्रभाग ने बरी कर दिया।

एक सरकारी वकील ने कहा, ‘‘प्रधान न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पूर्ण पीठ ने एटीएम अजहरुल इस्लाम को बरी करने का आदेश देते हुए फैसला सुनाया।’’

उन्होंने कहा कि अदालत ने जेल अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि अगर इस्लाम को अन्य मामलों में गिरफ्तार नहीं किया गया है तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाए।

वकील ने कहा कि बांग्लादेश में शीर्ष अदालत के फैसले को पलटने के लिए कोई उच्च न्यायालय या कोई अंतरराष्ट्रीय मंच नहीं है।

सरकारी एवं बचाव पक्ष के वकीलों के अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने पाया कि सबूत का उचित मूल्यांकन किए बिना मृत्युदंड सुनाया गया, जिससे ‘‘अन्यायपूर्ण फैसला’’ हुआ।

1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता का विरोध करने वाली इस्लामिक पार्टी के 73 वर्षीय नेता को युद्ध के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने उन्हें नरसंहार, हत्या और बलात्कार सहित कई आरोपों के लिए मौत की सजा सुनाई थी।

प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे पिछले साल के छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन का परिणाम बताया। पिछले साल बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन के कारण पांच अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से हटना पड़ा था।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा