जलवायु परिवर्तन का मतलब हर साल मौसम संबंधी अधिक आपदाएं : संयुक्त राष्ट्र

जलवायु परिवर्तन का मतलब हर साल मौसम संबंधी अधिक आपदाएं : संयुक्त राष्ट्र

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  • Publish Date - October 13, 2020 / 09:47 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:58 PM IST

जिनेवा, 13 अक्टूबर (एपी) भीषण गर्मी, जलवायु परिवर्तन, वनों में आग, सूखा और तूफानों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने आगाह किया है कि वर्ष 2030 तक अंतरराष्ट्रीय मानवीय सहायता के जरूरतमंद लोगों की संख्या में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है।

वर्ष 2018 में दुनिया भर में ऐसी जरूरत वाले लोगों की संख्या 10.8 करोड़ थी।

विश्व मौसम विज्ञान एजेंसी ने मंगलवार को जारी एक नयी रिपोर्ट में कहा है कि मौसम की वजह से हर साल अधिक संख्या में आपदाएं आ रही रही हैं। इसमें कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में 11,000 से अधिक आपदाएं आयी हैं जो मौसम, जलवायु और सूनामी जैसी घटनाओं से संबंधित हैं। इन आपदाओं के कारण 20 लाख लोगों की मौत हुयी है और 3.6 खरब (ट्रिलियन) डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।

इस बीच एक सकारात्मक घटनाक्रम में हर साल मौसम आपदाओं से होने वाली मौतों की औसत संख्या में एक-तिहाई की कमी दर्ज की गयी है। हालांकि ऐसी घटनाओं की संख्या और उनसे होने वाले आर्थिक नुकसान दोनों में वृद्धि हुयी है।

‘स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज, 2020’ की रिपोर्ट 16 अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और वित्तीय संस्थानों द्वारा संकलित गयी है। इस रिपोर्ट में सरकारों से आह्वान किया गया है कि वे पूर्व में ही चेतावनी देने वाली प्रणालियों में अधिक राशि खर्च करें। इससे प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के लिए तैयारी करने और जरूरी कदम उठाने के लिए देशों की क्षमता में सुधार होगा।

विश्व मौसम विज्ञान एजेंसी के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा कि कोविड-19 से एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य और आर्थिक संकट पैदा हुआ है तथा इससे उबरने में कई साल लगेंगे। ऐसे में यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन आने वाले समय में मानव जीवन, पारिस्थितिकी तंत्र, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के लिए खतरा बना रहेगा।

उन्होंने कहा कि महामारी से उबरना एक अवसर बन सकता है ताकि परिस्थितियों के अनुसार, एक अनुकूल रास्ते पर आगे बढ़ा जा सके।

एपी

अविनाश मनीषा

मनीषा