कोविड-19 के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम से कम आठ महीने तक रहती है: अध्ययन

कोविड-19 के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम से कम आठ महीने तक रहती है: अध्ययन

कोविड-19 के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम से कम आठ महीने तक रहती है: अध्ययन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:57 pm IST
Published Date: December 23, 2020 7:17 am IST

मेलबर्न, 23 दिसंबर (भाषा) कोरोना वारयस संक्रमण के बाद स्वस्थ होने वाले लोगों में इस संक्रमण के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता संक्रमणमुक्त होने के कम से कम आठ महीने बाद तक रहती है।

यह दावा एक नए अध्ययन में किया गया है। यह अध्ययन इस उम्मीद को प्रबल करता है कि कोविड-19 रोधी टीके लंबे समय तक प्रभावी रहेंगे।

पहले कई अध्ययनों में यह दावा किया गया था कि कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी संक्रमण के शुरुआती कुछ महीने बाद ही समाप्त हो जाते हैं, जिसके बाद यह चिंता उठने लगी थी कि लोगों में इसके खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता जल्द ही खत्म हो सकती है, लेकिन ‘साइंस इम्युनोलॉजी’ पत्रिका में प्रकाशित नए अनुसंधान ने इन चिंताओं को दूर कर दिया है।

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ऑस्ट्रेलिया की ‘मोनाश यूनिवर्सिटी’ के वैज्ञानिकों समेत विशेषज्ञों का कहना है कि रोग प्रतिरोधी प्रणाली में विशेष ‘मेमोरी बी’ कोशिकाएं वायरस के संक्रमण को ‘‘याद रखती’’ हैं और यदि कोई व्यक्ति दूसरी बार वायरस के संपर्क में आता है, तो सुरक्षात्मक एंटीबॉडी के तेजी से पैदा होने से सुरक्षात्मक रोग प्रतिरोधी क्षमता काम करने लगती है।

इस अध्ययन के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 के 25 मरीजों का दल चुना और संक्रमण के बाद चौथे दिने से लेकर 242वें दिन तक रक्त के 36 नमूने लिए।

वैज्ञानिकों ने पाया कि वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी में संक्रमण के 20 दिन बाद कमी आनी शुरू हो गई। हालांकि, उन्होंने कहा कि सभी मरीजों में ‘मेमोरी बी कोशिकाएं’ थीं, जो वायरस के दो घटकों ‘स्पाइक प्रोटीन’ और ‘न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन’ में से एक घटक को पहचान लेती हैं। ‘स्पाइक प्रोटीन’ वायरस को कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है।

वैज्ञानिकों ने विश्लेषण के बाद पाया कि ‘मेमोरी बी’ कोशिकाएं संक्रमण के आठ महीने बाद तक व्यक्ति के शरीर में मौजूद रहती हैं।

उनका मानना है कि यह परिणाम इस उम्मीद को बल देता है कि वायरस रोधी टीके का असर लंबे समय तक बना रहेगा।

मोनाश यूनिवर्सिटी में ‘इम्युनोलॉजी एंड पैथोलॉजी डिपार्टमेंट’ के मेनो वाल जेल्म ने कहा, ‘‘ये परिणाम महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये दर्शाते हैं कि कोविड-19 से संक्रमित हुए मरीजों में बीमारी के खिलाफ रोग प्रतिरोधी क्षमता बनी रहती है।’’

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश


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