भारत, ग्लोबल साउथ ने हानि और क्षति कोष के संचालन को लेकर समझौते पर खुशी जताई

भारत, ग्लोबल साउथ ने हानि और क्षति कोष के संचालन को लेकर समझौते पर खुशी जताई

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  • Publish Date - November 30, 2023 / 10:25 PM IST,
    Updated On - November 30, 2023 / 10:25 PM IST

(उज्मी अतहर)

दुबई, 30 नवंबर (भाषा) जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद इसका खामियाजा भुगतने वाले विकासशील और गरीब देशों को मुआवजा देने के उद्देश्य से हानि और क्षति कोष के परिचालन को लेकर हुए समझौते का भारत ने बृहस्पतिवार को “सकारात्मक संकेत” के तौर पर स्वागत किया।

इस कोष को लेकर हुए समझौते पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आई खास कर ‘ग्लोबल साउथ’ से।

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता सीओपी28 एक सकारात्मक संकेत के साथ शुरू हुई, जिसमें देशों ने हानि और क्षति कोष के संचालन पर शुरुआती समझौता किया। सीओपी के अध्यक्ष डॉ. सुल्तान अल जाबेर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विज्ञान स्पष्ट है और “अब हम सभी के लिये समय आ गया है कि जलवायु कार्रवाई के लिए पर्याप्त रूप से चौड़ी सड़क ढूंढी जाए।”

निर्णय की घोषणा के तुरंत बाद भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया: “संयुक्त अरब अमीरात में पहले दिन ही सीओपी28 के रफ्तार पकड़ने का सकारात्मक संकेत… हानि और क्षति कोष के संचालन पर ऐतिहासिक निर्णय सीओपी28 के उद्घाटन सत्र में अपनाया गया। भारत हानि एवं क्षति कोष को चालू करने के फैसले का पुरजोर समर्थन करता है।”

ग्लोबल साउथ लंबे समय से बाढ़, सूखे और गर्मी सहित आपदाओं से निपटने के लिये पर्याप्त धन की कमी की ओर इशारा कर रहे हैं और अमीर देशों को इससे उबरने के लिये पर्याप्त धन नहीं देने का दोषी ठहरा रहे हैं।

ग्लोबल साउथ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है।

विकासशील देशों ने यह भी दावा किया है कि बदलावों से निपटने में मदद करने की जिम्मेदारी अमीर देशों की है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से ये वही देश हैं जिन्होंने पृथ्वी को गर्म करने वाले कार्बन उत्सर्जन में अधिक योगदान दिया है।

इससे पहले बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने कहा कि 2023 सबसे गर्म वर्ष होना निश्चित है और चिंताजनक प्रवृत्तियां भविष्य में बाढ़, जंगल की आग, हिमनद पिघलने और भीषण गर्मी में वृद्धि का संकेत देती हैं।

डब्ल्यूएमओ ने यह भी चेतावनी दी है कि वर्ष 2023 का औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से लगभग 1.4 डिग्री सेल्सियस ऊपर है।

पिछले साल मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित सीओपी27 में अमीर देशों ने हानि और क्षति कोष स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी। हालांकि, धन आवंटन, लाभार्थियों और अमल के संबंध में निर्णय एक समिति को भेजे गए थे।

भाषा

प्रशांत माधव

माधव