(फाइल फोटो के साथ)
(योषिता सिंह)
न्यूयॉर्क, 27 सितंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अगले 25 वर्ष में भारत अपने अमृत काल में एक विकसित राष्ट्र बनने का प्रयास करेगा और यह भी ‘‘तर्कसंगत’’ है कि वह एक वैश्विक शक्ति बनने का भी प्रयास करेगा।
जयशंकर ने मंगलवार को यहां विदेश संबंध परिषद में कहा कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है तो ‘‘जाहिर है कि आपके हित ज्यादा हैं, आपकी जिम्मेदारियां ज्यादा हैं, आपका योगदान ज्यादा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप आज वास्तव में ऐसा भारत देखते हैं जिसके पदचिह्न अधिक हैं, जिसके हित और गतिविधियां अधिक हैं। दूसरा वास्तव में खुद दुनिया की संरचना है। हमने पिछले कुछ वर्षों, शायद चार या पांच वर्षों में कई तरीकों से देखा है, विश्व राजनीति की प्रकृति बदल गयी है।’’
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और ऊर्जा समेत मुद्दे अब बदल गए हैं।
जयशंकर ने ‘अमृत काल’ के संदर्भ में कहा, ‘‘आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदी की अगली तिमाही योजना के बारे में बात करते हैं। हमारे पास इसके लिए विशिष्ट भारतीय शब्द है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य यह है कि अब से एक चौथाई सदी बाद हमें विकसित देश बनने के लिए प्रयास करना चाहिए। देश का यह लक्ष्य है। लेकिन अगर आप उसके नतीजों पर गौर करें तो मुझे लगता है कि उस चौथाई सदी में यह तर्कसंगत होगा कि हम वैश्विक शक्ति बनने का भी प्रयास करें।’’
विदेश मंत्री ने उन पहलों का भी जिक्र किया जिन्हें भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की तरह तैयार किया है। उन्होंने कहा, ‘‘विश्व राजनीति, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बदल रही है और हम इसमें सबसे आगे हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत खुद को उत्तर और दक्षिण तथा पूर्व और पश्चिम के बीच पुल के रूप में स्थापित करने का प्रयास करते हुए देखना चाहता है, इस पर जयशंकर ने कहा, ‘‘काफी हद तक हां, लेकिन एक तरह से मैं इसे सरल कर रहा हूं क्योंकि यह हमेशा संभव नहीं होता, हमेशा यह वांछनीय नहीं होता, आवश्यक रूप से बीच में बने रहना।’’
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में आम बहस में अपने संबोधन में कहा था, ‘‘भारत ने अमृतकाल में प्रवेश किया है, एक चौथाई सदी जहां वृहद प्रगति और बदलाव हमारा इंतजार कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि अब खुलकर सामने आ रही हमारी प्रतिभा और रचनात्मकता हमें आगे बढ़ने की शक्ति देगी। जब चंद्रयान-3 चांद पर उतरा, तो दुनिया ने आगे आने वाले समय की एक झलक देखी।’’
भाषा
गोला नरेश
नरेश
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