इंडोनेशिया : सुमात्रा में बाढ़ और भूस्खलन, मृतकों की संख्या बढ़कर 17 हुई

इंडोनेशिया : सुमात्रा में बाढ़ और भूस्खलन, मृतकों की संख्या बढ़कर 17 हुई

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  • Publish Date - November 26, 2025 / 05:35 PM IST,
    Updated On - November 26, 2025 / 05:35 PM IST

मेदान (इंडोनेशिया), 26 नवंबर (एपी) इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर मूसलाधार बारिश के कारण आई अचानक बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित दर्जनों लोगों के बचाव अभियान के दौरान, बचावकर्मियों ने कई और शव बरामद किए हैं। इसके साथ ही, इस आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है, जबकि छह अन्य व्यक्ति अब भी लापता हैं।

राष्ट्रीय पुलिस ने एक बयान में कहा कि पिछले सप्ताह हुई मानसूनी बारिश के कारण नदियां उफान पर आ गईं हैं और बाढ़ से इलाके में तबाही मच गई। इस घटना के बाद बचाव दल, उत्तरी सुमात्रा प्रांत के छह जिलों में प्रभावित इलाकों तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

बयान में कहा गया है कि बुधवार तक बचावकर्मियों ने सबसे अधिक प्रभावित शहर सिबोल्गा से कम से कम पांच शव और तीन घायल लोगों को निकाला है और वे चार लापता ग्रामीणों की तलाश में जुटे हैं। वहीं पड़ोसी जिले मध्य तपनौली में, भूस्खलन के कारण एक ही परिवार के कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और बाढ़ के चलते करीब 2,000 घर और इमारतें जलमग्न हो गईं हैं।

राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहरी ने बताया कि दक्षिण तपनौली जिले में बचाव कर्मियों ने सात और शव बरामद किए हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। बाढ़ और भूस्खलन के कारण पेड़ उखड़ने से 58 लोग घायल हुए हैं साथ ही 2,800 से अधिक निवासियों को अस्थायी आश्रयों में रहना पड़ रहा है।

मुहरी ने कहा कि इसके कारण जिले में कम से कम दो पुलों को नष्ट होने को साथ 50 घर भी प्रभावित हुए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार इस आपदा के कारण मांडेलिंग नाताल, पड़ोसी पाडांग सिदेमपुआन शहर, नियास द्वीप में कई पुल और घर प्रभावित हुए हैं।

सिबोल्गा के पुलिस प्रमुख एडी इंगंटा ने बताया कि आपातकालीन आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं और अधिकारियों ने उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों के निवासियों से तत्काल सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए अनुरोध किया है।

इस भूस्खलन में दबे लोगों की तलाश के लिए मध्य जावा के सिलाकैप और बनजारनेगारा जिलों में 1,000 से अधिक बचावकर्मी तैनात किए गए थे। इन भूस्खलनों में 38 लोग मारे गए थे।

भाषा प्रचेता रंजन

रंजन

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