Nepal Protest: सोशल मीडिया बैन होने पर हिंसक प्रदर्शन, अब तक 20 लोगों की मौत, प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश

नेपाल सोशल मीडिया प्रतिबंध : युवा प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 19 लोगों की मौत

Nepal Protest: सोशल मीडिया बैन होने पर हिंसक प्रदर्शन, अब तक 20 लोगों की मौत,  प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश
Modified Date: September 9, 2025 / 12:08 am IST
Published Date: September 8, 2025 10:30 pm IST

काठमांडू, आठ सितंबर (भाषा) नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में राजधानी काठमांडू और कुछ अन्य इलाकों में सोमवार को युवाओं ने हिंसक प्रदर्शन किया, जिसके दौरान कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने देश में मौजूदा हालात को लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालात बिगड़ने के बाद नेपाली सेना को राजधानी काठमांडू में तैनात किया गया। सेना के जवानों ने नए बानेश्वोर में संसद परिसर के आसपास के रास्तों पर नियंत्रण कर लिया है।

इससे पहले, काठमांडू में ‘जेन ज़ी’ के बैनर तले स्कूली छात्रों समेत हजारों युवा संसद भवन के सामने इकट्ठा हुए और प्रतिबंध को तुरंत हटाने की मांग करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार युवाओं का प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया जब कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ा। नेपाल पुलिस के प्रवक्ता विनोद घिमिरे ने कहा कि काठमांडू के विभिन्न हिस्सों में रैली के दौरान हिंसक झड़पों में 17 लोगों की मौत हो गई जबकि पूर्वी नेपाल के सुनसरी जिले में पुलिस की गोलीबारी में दो प्रदर्शनकारियों की भी मौत हो गई। ये प्रदर्शन पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहरी और दामक जैसे क्षेत्रों में भी हुए।

नेपाली कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि गठबंधन सरकार में नेपाली कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले गृह मंत्री लेखक ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया है। लेखक ने शाम को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को उनके आवास, बालुवाटर में आयोजित कैबिनेट बैठक में अपना इस्तीफा सौंप दिया। अस्पताल के अधिकारियों के हवाले से ‘काठमांडू पोस्ट’ अखबार ने बताया कि नेशनल ट्रॉमा सेंटर में आठ लोगों की मौत हुई। एवरेस्ट अस्पताल में तीन, सिविल अस्पताल में तीन, काठमांडू मेडिकल कॉलेज में दो और त्रिभुवन टीचिंग अस्पताल में एक व्यक्ति की मौत हुई।

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द हिमालयन टाइम्स अखबार के अनुसार, सिविल अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर सहित कई अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह की कमी है और वे उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर करना शुरू कर दिया है। हिंसा के बाद, स्थानीय प्रशासन ने राजधानी के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया। काठमांडू के अलावा, ललितपुर जिले, पोखरा, बुटवल और सुनसरी जिले के इटाहरी में भी कर्फ्यू लगा दिया गया। मुख्य जिला अधिकारी छबि लाल रिजाल ने एक नोटिस में कहा, ‘‘प्रतिबंधित क्षेत्र में लोगों के आवागमन, प्रदर्शन, बैठक, सभा या धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी।’’ स्थानीय प्रशासन ने बाद में ये प्रतिबंधात्मक आदेश राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय के आसपास के विभिन्न क्षेत्रों में भी लागू कर दिए। नेपाल सरकार ने अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर चार सितंबर को फेसबुक, व्हाट्सऐप और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध उन्हें विनियमित करने के लिए लगाया गया है, लेकिन आम जनता में धारणा यह है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला होगा और सेंसरशिप की नौबत आ सकती है।नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में अपंजीकृत सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाने के अपने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए रविवार को कहा कि “राष्ट्र को कमजोर किए जाने के प्रयास कभी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।”


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।