तेल अवीव, 16 नवंबर (एपी) इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के किसी भी प्रयास का विरोध करने का रविवार को संकल्प जताया।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फलस्तीनी स्वतंत्रता से संबंधित अमेरिकी प्रस्ताव पर मतदान से एक दिन पहले यह बात कही।
नेतन्याहू लंबे समय से फलस्तीनी स्वतंत्रता की संभावना से इनकार करते रहे हैं। लेकिन जैसे-जैसे अमेरिका गाजा में युद्धविराम के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, नेतन्याहू पर लचीलापन दिखाने के लिए भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
रूस, चीन और कुछ अरब देशों के विरोध के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा गाजा में अंतरराष्ट्रीय सैन्य बल के लिए संयुक्त राष्ट्र के आदेश को लेकर अमेरिकी प्रस्ताव पर सोमवार को मतदान की संभावना है। इन्हीं देशों से अंतरराष्ट्रीय बल में सैनिक भेजने की अपेक्षा की जा रही है।
ट्रंप की योजना फलस्तीनी राष्ट्र के लिए एक ‘विश्वसनीय मार्ग’ तैयार कर सकती है। रूस के एक प्रतिद्वंद्वी प्रस्ताव में फलस्तीनी राष्ट्र के पक्ष में और भी कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।
नेतन्याहू के कट्टरपंथी शासन सहयोगियों ने उनसे फलस्तीनी स्वतंत्रता के आह्वान पर कड़ा रुख अपनाने का आग्रह किया है। अपने मंत्रिमंडल को संबोधित करते हुए, नेतन्याहू ने रविवार को कहा कि फलस्तीनी राष्ट्र के प्रति इजराइल के विरोध में ‘ज़रा भी बदलाव नहीं आया है।’
नेतन्याहू ने कहा कि वह दशकों से फलस्तीनी राष्ट्र से संबंधित किसी भी प्रगति को रोक रहे हैं और उन्हें बाहरी या आंतरिक दबाव से कोई ख़तरा नहीं है।
नेतन्याहू ने यह भी कहा कि ट्रंप की योजना गाजा को सैन्य मुक्त करने और हमास को निरस्त्र करने की है। उन्होंने कहा, ‘या तो यह आसान तरीके से होगा या फिर कठिन तरीके से।’
नेतन्याहू ने क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक पर यहूदी प्रवासियों द्वारा हिंसक हमलों में वृद्धि पर भी पहली बार सार्वजनिक टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हिंसा एक छोटे से अल्पसंख्यक समूह का काम है। फलस्तीनियों और मानवाधिकार समूहों का कहना है कि हिंसा व्यापक है और उन्होंने सरकार पर इसे नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है।
एपी आशीष पवनेश
पवनेश