यूक्रेन शांति वार्ताओं को लेकर कोई एकमत नहीं, अब मानचित्र की राजनीति

यूक्रेन शांति वार्ताओं को लेकर कोई एकमत नहीं, अब मानचित्र की राजनीति

यूक्रेन शांति वार्ताओं को लेकर कोई एकमत नहीं, अब मानचित्र की राजनीति
Modified Date: October 22, 2025 / 01:23 pm IST
Published Date: October 22, 2025 1:23 pm IST

(गोरार्ड टोआल, वर्जीनिया टेक)

वर्जीनिया, 22 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब यूक्रेन में अग्रिम पंक्ति के मानचित्र देखकर कथित तौर पर ‘‘थक’’ चुके हैं। एक यूरोपीय अधिकारी के अनुसार, ट्रंप ने 17 अक्टूबर 2025 को व्हाइट हाउस में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान उनके प्रतिनिधिमंडल द्वारा लाए गए नक्शे एक तरफ फेंक दिए थे।

ऐसा बताया जाता है कि इसके बजाय उन्होंने जेलेंस्की पर जोर डाला कि वह युद्ध समाप्त करने के लिए रूस की शर्तें स्वीकार करें और यूक्रेन के पूर्वी हिस्से डोनबास क्षेत्र को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सौंप दें।

 ⁠

पूर्वी यूरोप और उत्तर-साम्यवादी देशों का अध्ययन करने वाले एक राजनीतिक भूगोलवेत्ता के रूप में मैं जानता हूं कि नक्शे क्षेत्रीय संघर्षों और शांति वार्ताओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उदाहरण के लिए बोस्निया और हर्जेगोविना में 1990 के दशक की शुरुआत में हुए जातीय सफाए में भी नक्शे महत्वपूर्ण थे। बाद में इन्हीं नक्शों के जरिये युद्ध समाप्त करने का रास्ता भी बना।

इसी तरह, काकेशस क्षेत्र में भी एकरूप क्षेत्रों की “मानचित्रण कल्पनाओं” ने संघर्ष को बढ़ावा दिया।

आज यूक्रेन में तीन साल से जारी युद्ध को समाप्त करने की कोशिशों में भी नक्शे एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।

रचनात्मक मानचित्रण :

लंबे समय से यह देखा गया है कि जब क्षेत्रीय संघर्ष ठहराव पर पहुंचते हैं, तो उनके समाधान के लिए नक्शों पर विभाजन रेखाएं खींची जाती हैं। 1995 में अमेरिकी वार्ताकारों ने बोस्निया युद्ध को समाप्त करने के लिए ऐसा ही समझौता तैयार किया था, जिसमें नक्शे पर आखिरी क्षणों में किए गए संशोधनों ने क्षेत्र को 49-51 प्रतिशत के अनुपात में दो पक्षों के बीच बांटा।

लेकिन क्षेत्र को प्रतिशत में बांटना लोगों की भावनात्मक राष्ट्रीय पहचान के खिलाफ जाता है। इतिहासकार बेनेडिक्ट एंडरसन ने अपनी प्रसिद्ध अवधारणा में बताया कि सरकार नक्शों के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रों की कल्पना गढ़ती हैं।

मानचित्र किसी राष्ट्र के प्रतीक बन जाते हैं जिससे नागरिक अपने भूभाग को केवल जगह नहीं, बल्कि एक शरीर की तरह अनुभव करते हैं।

इसी कारण यूक्रेन के लोग अपनी भूमि के किसी भी हिस्से को छोड़ने का कड़ा विरोध करते हैं। हजारों सैनिकों ने अपने जीवन की आहुति दी है, जिससे उनके लिए यह भूमि पवित्र और अविभाज्य बन गई है।

ट्रंप और उनकी टीम इस भावनात्मक दृष्टिकोण को नहीं समझती। वे इसे व्यावसायिक सौदे की तरह देखते हैं।

मानचित्र की गलत व्याख्या :

अगस्त 2025 में ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने रूस से बातचीत के दौरान एक बड़ी गलती की।

जर्मन अखबार ‘बिल्ड’ ने खबर दी कि वह रूसी भाषा नहीं जानते थे और उन्होंने पुतिन के “यूक्रेनियों की शांतिपूर्ण वापसी” वाले वाक्यांश को ‘‘रूस की शांतिपूर्ण वापसी’’ समझ लिया। इस गलतफहमी के चलते अमेरिका ने नए प्रतिबंध टाल दिए, जिससे रूस को लाभ हुआ।

बाद में हुए अलास्का शिखर सम्मेलन में भी पुतिन ने ट्रंप को इतिहास का लंबा व्याख्यान दिया और युद्धविराम की शर्तें ठुकरा दीं। हालांकि, उन्होंने प्रस्ताव दिया कि यदि रूस को पूरा डोनबास क्षेत्र मिल जाए तो वह जापोरिज्जिया और खेरसॉन में अपनी सेनाएं रोक सकता है।

व्हाइट हाउस की बैठक और नक्शों की राजनीति :

18 अगस्त 2025 को सात यूरोपीय नेताओं और जेलेंस्की के साथ ट्रंप की बैठक में यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल नक्शा लेकर पहुंचा।

व्हाइट हाउस ने अपना ‘‘रूस-यूक्रेन संघर्ष’’ का मानचित्र दिखाया, जिसमें रूस के कब्जे वाले हिस्से नारंगी रंग में दर्शाए गए थे। मानचित्र में दर्शाया गया था कि रूस के पास लुहान्स्क का 99 प्रतिशत और दोनेत्स्क का 76 प्रतिशत हिस्सा है। पुतिन दोनों पर पूर्ण नियंत्रण चाहते थे।

ट्रंप ने अगले दिन ‘‘फॉक्स एंड फ्रेंड्स’’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि ‘‘यूक्रेन का बड़ा हिस्सा पहले ही चला गया है’’, जिससे स्पष्ट था कि वे इस युद्ध को रियल एस्टेट सौदे की तरह देख रहे हैं।

जेलेंस्की ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि यह राष्ट्र की अखंडता का सवाल है, केवल भूमि का नहीं।

हालांकि, कुछ समय बाद ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन ‘‘अपने मूल स्वरूप में देश वापस पा सकता है,’’ लेकिन जल्द ही फिर उन्होंने पुतिन के प्रस्ताव का समर्थन किया।

युद्धक्षेत्र को संपत्ति के रूप में देखना :

जेलेंस्की की 17 अक्टूबर की व्हाइट हाउस यात्रा से पहले पुतिन ने ट्रंप को फोन कर नया प्रस्ताव दिया कि रूस डोनबास पर पूर्ण कब्जे के बदले जापोरिज्जिया और खेरसॉन से पीछे हटने को तैयार है।

यही प्रस्ताव ट्रंप और जेलेंस्की के बीच तीखी बहस और नक्शा फेंकने की वजह बना।

बाद में ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘‘अब खूनखराबा रोकने और सौदा करने का समय आ गया है। वे जहां हैं, वहीं रुक जाएं।’’

ट्रंप मानते हैं कि यूक्रेन और डोनबास को मौजूदा युद्ध रेखाओं के आधार पर ‘‘काटकर बांट देना’’ चाहिए।

‘फॉक्स न्यूज’ को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, ‘‘पुतिन कुछ तो लेंगे, उन्होंने बहुत कुछ जीता है।’’

यह दिखाता है कि जेलेंस्की और ट्रंप कैसे चीजों को अलग-अलग नजरिये से देखते हैं। जेलेंस्की इसे दुखद सच्चाई के रूप में देखते हैं, वहीं ट्रंप इसे जमीन विवाद के रूप में देखते हैं, जिसमें एक ताकतवर देश छोटे देश के क्षेत्रों पर कब्जा कर लेता है।

द कन्वरसेशन गोला मनीषा

मनीषा


लेखक के बारे में