संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में तेल कंपनियों ने मीथेन उत्सर्जन कम करने का संकल्प लिया

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में तेल कंपनियों ने मीथेन उत्सर्जन कम करने का संकल्प लिया

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में तेल कंपनियों ने मीथेन उत्सर्जन कम करने का संकल्प लिया
Modified Date: December 2, 2023 / 08:25 pm IST
Published Date: December 2, 2023 8:25 pm IST

दुबई, दो दिसंबर (एपी) संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (सीओपी28) की अध्यक्षता कर रहे संयुक्त अरब अमीरात ने शनिवार को कहा कि 50 तेल कंपनियों ने 2030 तक शून्य मीथेन उत्सर्जन का प्रयास करने और अपने संचालन में नियमित दहन (फ्लेयरिंग) को खत्म करने का संकल्प लिया है।

ये तेल कंपनियां आधे वैश्विक तेल उत्पादन का प्रतिनिधित्व करती हैं।

पर्यावरण के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस कदम को ‘स्मोकस्क्रीन’ कहा है।

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सीओपी28 नाम से चर्चित इस जलवायु सम्मेलन के अध्यक्ष एवं अबू धाबी नेशनल ऑयल कोरपोरेशन के प्रमुख सुल्तान अल जाबेर की यह घोषणा ऐसे समय आयी है जब उन्होंने और अन्य ने इस बात पर जोर दिया कि अपनी पृष्ठभूमि के चलते वह तेल कंपनियों को वार्ता में शामिल करेंगे।

अल जाबेर ने कहा कि इस उद्योग की भागीदारी सात सालों में दुनिया के ग्रीन हाउस उत्सर्जन को करीब आधे पर लाने में अहम है ताकि वैश्विक तापमान वृद्धि औद्योगिक पूर्व काल की तुलना में बस 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सके।

इस संकल्प में सऊदी अरामको, ब्राजील की पेट्रोब्रास और अंगोला की सोनानगोल, शेल, टोटल इनर्जीज और बीपी जेसी बड़ी राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं।

अल जाबेर ने कहा , ‘‘ दुनिया बिना ऊर्जा के काम नहीं करती है। फिर भी, यदि हम आज जिन ऊर्जाओं का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें स्थिर नहीं करते हैं और तेजी से शून्य कार्बन विकल्पों की ओर अग्रसर नहीं होते तो यह दुनिया बिखर जायेगी।’’

तेल और गैस कंपनी के परिचालन में उत्खनन से लेकर, ढुलाई एवं भंडारण तक कई स्थानों पर मीथेन निकलती/रिसती है। थोड़ी सी ही समयावधि में यह जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार कार्बन डाइऑक्साइड से 80 गुणा अधिक शक्तिशाली होती है।

सीओपी28 के आयोजन के महीनों पहले से यह चर्चा रही है कि सबसे बड़ा परिणाम मीथेन को लेकर हो सकता है। न केवल मीथेन के रिसाव से बल्कि अतिरिक्त मीथेन के दहन तथा अवांछित गैस उत्पादों को छोड़ने से भी जलवायु परिवर्तन में योगदान होता है । इन समस्याओं को काफी हद तक वर्तमान प्रौद्योगिकियों और परिचालन में बदलावों से हल किया जा सकता है।

एपी

राजकुमार पवनेश

पवनेश


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