पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में विश्वासमत जीता, विपक्ष ने इस्तीफे की मांग की

पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने नेशनल असेंबली में विश्वासमत जीता, विपक्ष ने इस्तीफे की मांग की

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  • Publish Date - March 6, 2021 / 04:57 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

( सज्जाद हुसैन )

इस्लामाबाद, छह मार्च (भाषा) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को विपक्षी दलों के बहिष्कार के बीच नेशनल असेंबली (संसद) में विश्वासमत जीत लिया, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता खत्म हो गयी। हाल में करीबी मुकाबले वाले सीनेट चुनाव में वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख की हार के बाद उनकी सरकार पर संकट आ गया था।

प्रधानमंत्री खान को संसद के 342 सदस्यीय निचले सदन में 178 वोट मिले और सामान्य बहुमत के लिए 172 वोट की जरूरत थी। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के निर्देश पर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था।

विपक्ष ने इसमें हिस्सा नहीं लिया क्योंकि 11 दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने मतविभाजन का बहिष्कार किया था, जिससे खान को विश्वासमत जीतने के लिए जरूरी संख्या जुटाने में आसानी हुई।

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सदन में एक-सूत्री प्रस्ताव रखा।

प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘यह सदन इस्लामी पाकिस्तान गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 91 के खंड (7) के तहत प्रधानमंत्री में विश्वास जताता है।’’

स्पीकर असद कैसर ने नतीजे घोषित किये और कहा, ‘‘खान को दो साल पहले 176 वोटों से प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया था। आज उन्होंने 178 वोट हासिल किये हैं।’’

विश्वास मत हासिल करने के बाद खान ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों और सहयोगियों का शुक्रिया किया।

पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के उम्मीदवार और पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने बुधवार को सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के उम्मीदवार अब्दुल हाफिज शेख को करीबी मुकाबले में सीनेट चुनाव में हरा दिया था। खान के लिए यह बड़ा झटका था जिन्होंने वित्त मंत्री अब्दुल हाफिज शेख के लिए निजी तौर पर प्रचार किया था।

क्रिकेटर से नेता बने 68 वर्षीय खान ने शेख की हार के बाद निचले सदन में विश्वासमत हासिल करने का फैसला किया था।

वित्त मंत्री की हार के बाद विपक्षी दलों ने खान के इस्तीफे की मांग की थी।

नेशनल असेंबली में सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 157 सदस्य थे लेकिन पार्टी के एक सांसद के इस्तीफे के बाद उसके 156 सदस्य हैं।

सत्तारूढ़ पार्टी के गठबंधन सहयोगियों में सात सांसद मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) से, पांच-पांच सांसद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (पीएमएल-क्यू) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) से, तीन सांसद ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस (जीडीए) से और एक-एक सांसद एएमएल तथा जेडब्ल्यूपी से थे।

पीटीआई के बैरिस्टर अली जदर ने कहा कि खान ने विश्वासमत हासिल करने का बहुत बड़ा फैसला किया और इसने विपक्ष को चुप करा दिया, जो उन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।

इस बीच, पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री खान से इस्तीफा देने और नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की। नेशनल असेंबली में खान के विश्वास मत हासिल करने के ठीक बाद विपक्षी नेताओं ने यह मांग की।

पीडीएम के प्रमख मौलाना फजलुर रहमान ने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी और सिंध प्रांत के सुक्कूर में मीडियाकर्मियों से कहा कि इस विश्वास मत का कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने कहा, “यह एक विश्वास मत नहीं था। हम जानते हैं कि किन एजेंसियों द्वारा रात भर सदस्यों के घरों पर नजर रखी जा रही थी। (हम जानते हैं) किसने प्रत्येक सदस्य की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये उनके दरवाजों पर दस्तक दी।”

उनका संदर्भ उन खबरों को लेकर था जिनमें कहा गया था कि सरकार ने अपने सदस्यों को इस्लामाबाद में लॉज में कड़ी निगरानी में रखा था, जिससे शक्ति परीक्षण के दौरान वे सभी संसद में मौजूद रहें।

उन्होंने प्रधानमंत्री को चुनौती दी, “साहस दिखाएं और नए चुनाव कराकर जनता से विश्वास मत हासिल करें।”

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की नेता मरियम नवाज ने पीडीएम की बैठक के बाद कहा कि खान के दिन अब गिनती के बचे हैं।

उन्होंने कहा, “अब यह बस समय की बात है कि वह कब जाते हैं।”

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि सीनेट की सीट हारने के बाद खान का पर्दाफाश हो गया और विश्वास मत निरर्थक था।

उन्होंने कहा, “हम पहले ही जीत चुके हैं और बदलाव का वक्त आ गया है।”

खान ने नेशनल असेंबली में विश्वासमत जीतने के बाद कहा, ‘‘पाकिस्तान को तरक्की के रास्ते पर जाने से कोई नहीं रोक सकता है।’’

उन्होंने विपक्षी नेताओं विशेष तौर पर पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भ्रष्टाचार में उनकी संलिप्तता के लिए निंदा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनावी सुधारों और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की शुरुआत करेगी।

खान ने कहा कि उनकी सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग शुरू करने की योजना बनाई है ताकि लाखों पाकिस्तानी नागरिक चुनावों में विदेशों में मतदान कर सकें।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए चुनाव में आधुनिक तकनीक ला रहे हैं। हमने भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग करने का निर्णय लिया है। चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों द्वारा किये जाने वाले मतदान में गड़बड़ी के दावों से निपटने के लिए इनका उपयोग करना महत्वपूर्ण है। हम एक ऐसी व्यवस्था लाने पर भी काम कर रहे हैं, जिसके तहत विदेशों में रह रहे पाकिस्तानी अपना वोट डाल सकें।’’

‘जिओ टीवी’ के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बाद खान ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने नेशनल असेंबली में विश्वासमत हासिल का फैसला किया।

वर्ष 1993 में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय द्वारा उन्हें बहाल करने के आदेश के बाद शरीफ ने नेशनल असेंबली में विश्वास मत कराया था।

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप