पाकिस्तान की संसद ने एफएटीएफ संबंधी विधेयक पारित किया

पाकिस्तान की संसद ने एफएटीएफ संबंधी विधेयक पारित किया

  •  
  • Publish Date - July 17, 2021 / 08:13 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

( सज्जाद हुसैन )

इस्लामाबाद, 17 जुलाई (भाषा) पाकिस्तान की संसद ने वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था एफएटीएफ द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा करने के प्रयास के तहत अंतरराष्ट्रीय अपराध के मामलों में कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के संबंध में एक विधेयक पारित किया है।

विपक्ष के विरोध के बीच शुक्रवार को ऊपरी सदन सीनेट ने परस्पर कानूनी सहायता (आपराधिक मामले) संशोधन विधेयक पारित कर दिया। जून, 2018 में पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में रखा गया था और उसे अक्टूबर 2019 तक कदम उठाने के लिए एक कार्ययोजना सौंपी गयी थी। एफएटीएफ द्वारा बताए गए उपायों को लागू नहीं करने के कारण पाकिस्तान तबसे उसी सूची में बना हुआ है।

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के बयान के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध में वृद्धि ने अंतरराष्टीय समुदाय और पाकिस्तान के लिए कानूनी साधनों की प्रभावशीलता में सुधार करना आवश्यक बना दिया है। कानून में एकरूपता की कमी और देशों के बीच कमजोर समन्वय तंत्र के कारण सीमा पार अपराध के मामलों से मुकाबला करना प्रभावित होता है। बयान में कहा गया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए कानूनी कदम जरूरी थे।

हालांकि विपक्षी दलों ने इसे यह कहते हुए रोकने का प्रयास किया कि इससे सरकार को आरोपों के आधार पर पाकिस्तान के नागरिकों को अन्य देशों को सौंपने की अबाध शक्ति मिल जाएगी।

‘डॉन’ अखबार के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी के मुश्ताक अहमद ने विधेयक को मौलिक अधिकारों, संविधान, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और राष्ट्रीय हित के खिलाफ बताया। विपक्ष की आपत्ति के बावजूद विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया गया। सीनेटर अहमद ने इसे देश के संसदीय इतिहास में काला दिन बताते हुए कहा कि सरकार किसी व्यक्ति को बिना नोटिस जारी किए कानून के तहत धन शोधन आदि के माध्यम से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करके उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

‘ग्रे’ सूची में बने रहने से पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद लेना मुश्किल होता जा रहा है और इससे आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान की माली हालत और खराब होगी।

भाषा सुरभि प्रशांत

प्रशांत