पाक ने 27वें संविधान संशोधन के बारे में यूएनएचसीएचआर प्रमुख की ‘निराधार आशंकाओं’ को खारिज किया

पाक ने 27वें संविधान संशोधन के बारे में यूएनएचसीएचआर प्रमुख की 'निराधार आशंकाओं' को खारिज किया

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  • Publish Date - November 30, 2025 / 04:45 PM IST,
    Updated On - November 30, 2025 / 04:45 PM IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 30 नवंबर (भाषा) पाकिस्तान ने रविवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (यूएनएचसीएचआर) वोल्कर तुर्क की 27वें संविधान संशोधन के बारे में चिंता को ‘‘निराधार और गलत आशंका’’ बताते हुए खारिज कर दिया।

जिनेवा में शुक्रवार को जारी एक बयान में मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि पिछले वर्ष के 26वें संशोधन की तरह नवीनतम संवैधानिक संशोधन को भी कानूनी समुदाय और नागरिक समाज के साथ व्यापक परामर्श और चर्चा के बिना अपनाया गया है।

उन्होंने कहा कि ‘‘जल्दबाजी में किये गए’’ संशोधनों ने न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर किया है और सैन्य जवाबदेही को लेकर चिंताएं पैदा की हैं।

विदेश कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि ‘‘सभी संसदीय लोकतंत्रों की तरह, सभी कानून और संविधान में कोई भी संशोधन पाकिस्तान की जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के अधिकार क्षेत्र में है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘हालांकि, पाकिस्तान मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्य को उचित महत्व देता है, लेकिन यह खेदजनक है कि जारी किये गए बयान में जमीनी हकीकत प्रतिबिंबित नहीं हुई।”

इसमें कहा गया कि पाकिस्तान ‘‘संविधान में निहित मानवाधिकारों, मानवीय गरिमा, बुनियादी स्वतंत्रताओं और कानून के शासन की रक्षा, संवर्धन और उसे बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘हम उच्चायुक्त से आग्रह करते हैं कि वे पाकिस्तान की संसद के संप्रभु निर्णयों का सम्मान करें और ऐसी टिप्पणियों से बचें जो राजनीतिक पूर्वाग्रह और गलत सूचना को दर्शाती हों।’’

इस महीने की शुरुआत में, पाकिस्तान की सीनेट और नेशनल असेंबली की संयुक्त संसदीय समिति ने 27वें संविधान संशोधन विधेयक को मंज़ूरी दी थी। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार ‘‘उच्चतम न्यायालय के लिए खतरे का संकेत’’ दे रही है।

इस संशोधन के जरिये संविधान के अनुच्छेद 243 में बदलाव किया गया है, जिसके तहत ‘ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष’ को हटाकर एक नये ‘प्रमुख रक्षा अध्यक्ष’ की नियुक्ति की गई है।

इसी संशोधन के तहत एक संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना की गई है और मौजूदा उच्चतम न्यायालय की शक्तियों को सीमित किया गया है।

भाषा

सुभाष धीरज

धीरज