पाकिस्तान एफएटीएफ विधेयक पारित करने के लिए अगले हफ्ते बुलाएगा संसद सत्र

पाकिस्तान एफएटीएफ विधेयक पारित करने के लिए अगले हफ्ते बुलाएगा संसद सत्र

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  • Publish Date - September 8, 2020 / 09:16 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:27 PM IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामबाद, आठ सितंबर (भाषा) पाकिस्तान सरकार ने राष्ट्रीय असेंबली और सीनेट का नया सत्र क्रमश: 14 और 15 सितंबर को बुलाने का फैसला किया है ताकि धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण सहित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराया जा सके।

संसद का उच्च सदन धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से संबंधित विधेयक को एक बार खारिज कर चुका है।

मीडिया में आई खबर के मुताबिक संसद का नया सत्र बुलाने का फैसला सोमवार को प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके संसदीय मामलों के सलाहकार बाबर अवान की बैठक में किया गया।

संसद के दोनों सदनों नेशनल असेंबली और सीनेट का सत्र सोमवार को होना था लेकिन उसके स्थगित होने के बाद अवान ने प्रधानमंत्री से भेंट की।

एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक बैठक में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।

अवान ने डॉन अखबार को बताया कि बैठक में 14 सितंबर को नेशनल असेंबली की बैठक और 15 सितंबर को सीनेट का सत्र बुलाने का फैसला किया गया।

उन्होंने बताया कि एफएटीएफ संबंधी धनशोधन एवं आतंकवादी वित्तपोषण विधेयक एवं अन्य विधयेकों को मंजूरी के लिए दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पेरिस से संचालित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे’ (संदिग्ध) सूची में डाल दिया था और इस्लामाबाद से वर्ष 2019 तक कार्ययोजना को लागू करने को कहा था। हालांकि कोविड-19 महामारी की वजह से समयसीमा में वृद्धि की गई।

अवान से जब पूछा गया कि पहले से ही निर्धारित सत्र को क्यों स्थगित किया गया तो उन्होंने बताया कि बारिश की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में हुई तबाही की वजह से यह कदम उठाया गया है।

एफएटीएफ संबंधी विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार ‘‘राष्ट्रहित के इन विधेयकों’ को पारित करने में देरी करने की अनुमति नहीं देगी।

विपक्ष द्वारा दोबारा एफएटीएफ संबंधी विधेयकों को अस्वीकार किए जाने की स्थिति में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र बुलाने के सवाल पर अवान ने कहा कि अबतक इसकी तारीख तय नहीं की गई है।

गौरतलब है कि अगर पाकिस्तान अक्टूबर 2020 तक एफएटीएफ के निर्देशों का अनुपालन नहीं करता है तो उसे ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ‘‘काली सूची’’ में शामिल किए जाने की पूरी संभावना है।

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश