आम पकने के पहले ही क्यों गिर जाते हैं ?

आम पकने के पहले ही क्यों गिर जाते हैं ?

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  • Publish Date - December 25, 2025 / 11:46 AM IST,
    Updated On - December 25, 2025 / 11:46 AM IST

(सोफी जोन्स, द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड )

क्वींसलैंड, 25 दिसंबर (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया में हर मौसम में आम उत्पादकों को उस समय भारी नुकसान होता है, जब पेड़ों से बड़ी संख्या में फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। ये आम न तो ठीक से पकते हैं, न ही उपभोक्ताओं तक पहुंच पाते हैं, जिससे आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों तरह की क्षति होती है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, समय से पहले फल गिरना आम की कम पैदावार का एक बड़ा कारण है, क्योंकि केवल करीब 0.1 प्रतिशत फल ही परिपक्व हो पाते हैं। इससे उत्पादकों को खासा नुकसान होता है और संसाधनों की बर्बादी भी होती है।

लगातार जलवायु परिवर्तन के साथ यह समस्या वैश्विक महत्व की हो गई है, जो खाद्य सुरक्षा से लेकर किसानों की आय तक को प्रभावित करती है। ऑस्ट्रेलिया में आम एक उच्च-मूल्य वाली फसल है, जहां हर साल 63,000 टन से अधिक उत्पादन होता है, जो अर्थव्यवस्था में लगभग 22 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का योगदान देता है।

हालांकि, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के कारण आम की फसल को अस्थिर जलवायु में अधिक जोखिम है। सूखा, लू और पत्तियों का झड़ना जैसी स्थितियां उस प्राकृतिक प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं, जिसके कारण फल गिरते हैं।

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि तनाव के दौरान पेड़ों में हार्मोनल असंतुलन और कार्बोहाइड्रेट की कमी पैदा हो जाती है। फल के विकास के लिए आवश्यक शर्करा की आपूर्ति बाधित होने पर पेड़ अपने अस्तित्व को प्राथमिकता देता है और फल गिर जाता है।

शोधकर्ताओं ने इसे एक आणविक “क्विट सिग्नल” बताया है, जो पेड़ को फल का साथ छोड़ने का संदेश देता है। यह संकेत जीन गतिविधि और हार्मोनल संकेतों के जटिल नेटवर्क से जुड़ा है।

इस प्रक्रिया को समझने के लिए वैज्ञानिक आम के डंठल (पेडिसल) के ऊतकों में जीन गतिविधियों का अध्ययन कर रहे हैं, जहां पेड़ और फल के बीच पोषक तत्वों और संकेतों का आदान-प्रदान होता है।

फल झड़ने की समस्या के लिए शोध में पौध वृद्धि नियामकों (प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स) के उपयोग को एक प्रभावी उपाय बताया गया है। ये हार्मोन के कृत्रिम रूप होते हैं, जो तनाव की स्थिति में पेड़ों में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

परीक्षणों में पाया गया कि फूल आने के शुरुआती चरण में इनका प्रयोग अधिक प्रभावी रहा, जिससे पैदावार में 17 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन अभी जारी है और समीक्षा के बाद अगले वर्ष प्रकाशित किया जाएगा। इसका उद्देश्य आम की नई किस्में विकसित करना नहीं, बल्कि अपरिपक्व फल गिरने की प्राकृतिक प्रक्रिया को समझकर किसानों को बेहतर प्रबंधन के उपाय सुझाना है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि इस शोध का लाभ केवल आम तक सीमित नहीं रहेगा। सेब, संतरा और एवोकाडो जैसी अन्य फसलों में भी पर्यावरणीय तनाव के कारण फल झड़ने की समस्या होती है। आम में इस प्रक्रिया की बेहतर समझ से वैश्विक स्तर पर कई फसलों को लाभ मिल सकता है।

( द कन्वरसेशन )

मनीषा शोभना

शोभना