गर्भधारण समस्या सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, तीन आईवीएफ चक्रों में से एक के पीछे पुरुष बांझपन है कारण |

गर्भधारण समस्या सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, तीन आईवीएफ चक्रों में से एक के पीछे पुरुष बांझपन है कारण

गर्भधारण समस्या सिर्फ महिलाओं को ही नहीं, तीन आईवीएफ चक्रों में से एक के पीछे पुरुष बांझपन है कारण

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:02 PM IST, Published Date : October 15, 2022/4:49 pm IST

(मोनाश विश्वविद्यालय से करिन हैमरबर्ग, यूएनएसडब्ल्यू से जॉर्जीना चेम्बर्स और हडसन संस्थान से रॉब मैकलाचलन)

मेलबर्न, 15 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) पहली बार, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में आईवीएफ क्लिनिक ने प्रक्रिया से जुड़े युगलों में पुरुष प्रजनन संबंधी समस्याओं के स्तर और सीमा के बारे में डेटा की सूचना दी है। ‘ऑस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड असिस्टेड रिप्रोडक्शन डेटाबेस’ (एएनजेडएआरडी) द्वारा जारी किए गए नए डेटा से आज पता चला है कि 2020 में किए गए सभी आईवीएफ चक्रों में से एक-तिहाई का कारण पुरुष बांझपन था।

हालांकि पुरुषों से संबंधित अधिकतर प्रजनन समस्याओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन पुरुष शुक्राणु की गुणवत्ता और महिलाओं के प्राकृतिक गर्भाधान की संभावना में सुधार के लिए कुछ चीजें कर सकते हैं।

पुरुष बांझपन के मामले में अधिकांश समस्या वृषणों के कोई भी या पर्याप्त सामान्य शुक्राणु बनाने में विफल होने के कारण होती है जो महिलाओं के गर्भधारण के लिए आवश्यक होते हैं। शुक्राणुओं की कम संख्या, शुक्राणु का सामान्य रूप से आगे न बढ़ना या असामान्य आकार के शुक्राणुओं की अधिक संख्या महिलाओं के अंडाणुओं को निषेचित करने की क्षमता को कम कर देती है।

ज्यादातर मामलों में, पुरुष बांझपन का कारण अस्पष्ट है। लगभग 40 प्रतिशत पुरुषों में ही बांझपन के एक विशिष्ट कारण का पता लगाया जा सकता है।

इनमें आनुवंशिक असामान्यताएं, पिछला संक्रमण, अंडकोष को आघात और शुक्राणु उत्पादन को नुकसान शामिल हैं – उदाहरण के लिए कैंसर के उपचार से। कुछ पुरुषों के स्खलन में शुक्राणु नहीं होते हैं (एक स्थिति जिसे एज़ोस्पर्मिया कहा जाता है)। यह अवरुद्ध शुक्राणु नलियों के कारण हो सकता है, जो जन्मजात दोष हो सकता है, या पुरुष नसबंदी या अन्य क्षति कारण हो सकती है।

कुछ मामलों में, कम या खराब समय पर संभोग, या यौन समस्याएं जैसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या फिर स्खलन विफलता बांझपन का कारण बनती है।

सबसे कम आम समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि (मस्तिष्क में एक ग्रंथि जो हार्मोन बनाती है, भंडारण करती है और जारी करती है) से हार्मोनल संकेतों की कमी है। यह अनुवांशिक हो सकता है या पिट्यूटरी ट्यूमर जैसे मुद्दों की वजह से हो सकता है। हार्मोन इंजेक्शन के साथ उपचार का उद्देश्य प्राकृतिक प्रजनन क्षमता को बहाल करना होता है।

मोटापा या मधुमेह जैसी दीर्घकालीन बीमारियाँ, पर्यावरणीय जोखिम (जैसे कार्यस्थल पर रसायन) और जीवनशैली कारक (जैसे धूम्रपान और नशीली दवाओं का उपयोग) जैसे कारक शुक्राणुओं की गुणवत्ता को खराब कर सकते हैं।

पुरुष बांझपन से संबंधित मामलों में महिलाओं के अंडाणुओं को निषेचित करने और ऐसे युगलों को बच्चों की किलकारियों का सुख प्रदान करने के लिए इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) की आवश्यकता होती है।

आईसीएसआई में आईवीएफ के समान ही प्रक्रिया होती है, सिवाय इसके कि आईसीएसआई में तकनीकी रूप से उन्नत उपकरणों का उपयोग करके प्रत्येक अंडाणु के लिए एक शुक्राणु का प्रत्यक्ष इंजेक्शन दिया जाता है। वहीं, आईवीएफ में प्रत्येक अंडाणु से हजारों शुक्राणु जोड़े जाते हैं, इस उम्मीद में कि कोई न कोई तो इसे निषेचित करेगा ही।

हाल में जारी एएनजेडएआरडी की रिपोर्ट से पता चलता है कि पुरुषों से संबंधित बांझपन के मामले में एक बच्चे की संभावना अन्य बांझपन निदान के सदृश्य है। हालांकि, अध्ययनों से पता चलता है कि जिन जोड़ों में पुरुषों से संबंधित बांझपन कारक नहीं है, उनके लिए बच्चा होने की संभावना को लेकर आईवीएफ के मुकाबले आईसीएसआई से कोई लाभ नहीं होता।

हालांकि पुरुष बांझपन को अधिकांशत: रोका नहीं जा सकता है, लेकिन कुछ चीजें हैं जो पुरुष अपने शुक्राणु को स्वस्थ रखने के लिए कर सकते हैं। शुक्राणु को परिपक्व होने में लगभग तीन महीने लगते हैं, इसलिए बच्चे के लिए प्रयास करने से कम से कम तीन महीने पहले स्वस्थ बदलाव करने से गर्भधारण और स्वस्थ बच्चा होने का सबसे अच्छा मौका मिलता है। यहां पांच चीजें हैं जो आप अपने शुक्राणु की देखभाल के लिए कर सकते हैं।

सिगरेट के धुएं में हजारों हानिकारक रसायन होते हैं जो शुक्राणु सहित शरीर के सभी हिस्सों को नुकसान पहुंचाते हैं। अधिक धूम्रपान करने वालों में धूम्रपान न करने वालों की तुलना में कम शुक्राणु बनते हैं। धूम्रपान असामान्य आकार के शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि कर सकता है और शुक्राणु की तैरने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, जिससे शुक्राणु के लिए अंडे तक पहुंचना और उसे निषेचित करना कठिन हो जाता है।

धूम्रपान शुक्राणु में डीएनए को भी नुकसान पहुंचाता है, जो बच्चे में स्थानांतरित हो जाता है। इससे गर्भपात और जन्म दोष का खतरा बढ़ सकता है। एक अध्ययन में पाया गया कि गर्भधारण के समय पिता द्वारा अधिक धूम्रपान (एक दिन में 20 से अधिक सिगरेट) करना बच्चे के लिए बचपन में ल्यूकेमिया का जोखिम बढ़ाता है।

धूम्रपान की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है – अपने आप को और अपने अजन्मे बच्चे को नुकसान से बचाने का एकमात्र तरीका इसे छोड़ना है। अच्छी खबर यह है कि धूम्रपान का शुक्राणुओं पर प्रभाव और प्रजनन क्षमता प्रतिवर्ती होती है, और इसे छोड़ने से गर्भधारण करने और स्वस्थ बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।

औसतन, अधिक वजन वाले या मोटे पुरुषों में स्वस्थ वजन वाले पुरुषों की तुलना में शुक्राणु की गुणवत्ता कम होती है। बहुत अधिक वजन उठाने से भी सेक्स में आपकी रुचि कम हो सकती है और इरेक्शन की समस्या हो सकती है।

अच्छी खबर यह है कि कुछ किलो वजन कम करने से भी शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करना और उन्हें प्राप्त करने के लिए खुद को पर्याप्त समय देना, पोषण और स्वस्थ भोजन के बारे में सीखना, और नियमित रूप से व्यायाम करने से वजन घटाने और इसे दूर रखने की संभावना बढ़ जाती है।

किसी आदमी की प्रजनन क्षमता को भांग, कोकीन और हेरोइन जैसी अन्य चीजों से भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि वे टेस्टोस्टेरोन के स्तर और कामेच्छा को कम करती हैं।

अल्कोहल कम मात्रा में ठीक है, लेकिन अधिक शराब पीने से शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता कम हो सकती है।

हम सभी ने पुरुषों के बारे में उनके 80 और 90 साल की उम्र में पिता बनने के बारे में भी सुना है, लेकिन यह दुर्लभ और जोखिम भरा होता है।

वृद्ध पुरुषों के भागीदारों को गर्भधारण करने में अधिक समय लगता है, और शुक्राणु की गुणवत्ता उम्र के साथ कम हो जाती है तथा इससे गर्भपात और स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।

इसलिए, यदि आपके पास यह विकल्प है कि बच्चे के लिए कब प्रयास करना है, तो बाद की तुलना में जल्द करना ही बेहतर है।

यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई), विशेष रूप से अनुपचारित गोनोरिया और क्लैमाइडिया, शुक्राणु की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं और शुक्राणु नलियों में रुकावट पैदा कर सकते हैं। इसका मतलब है कि शुक्राणु स्खलन के लिए अंडकोष (जहां वे पैदा होते हैं) से वीर्य में आगे नहीं बढ़ सकते।

कंडोम का उपयोग करके सुरक्षित यौन संबंध बनाना ही एकमात्र ऐसी चीज है जो एसटीआई को साथी को या उससे खुद के पीड़ित होने से रोक सकती है। कंडोम का उपयोग करने से आपके ट्यूब ब्लॉकेज और आपकी प्रजनन क्षमता को नुकसान होने का खतरा बहुत कम हो जाता है।

अगर आपको लगता है कि आपको एसटीआई है, तो डॉक्टर से मिलें और तुरंत इलाज कराएं। जितनी जल्दी आप उपचार प्राप्त करेंगे, भविष्य में प्रजनन समस्याओं का जोखिम उतना ही कम होगा।

(द कन्वरसेशन) नेत्रपाल माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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