रुसी राष्ट्रपति की अमेरिका को दो टूक, भारत को तय कार्यक्रम के मुताबिक ही दी जाएगी ‘एस-400’ मिसाइल सिस्टम

रुसी राष्ट्रपति की अमेरिका को दो टूक, भारत को तय कार्यक्रम के मुताबिक ही दी जाएगी 'एस-400' मिसाइल सिस्टम

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  • Publish Date - November 16, 2019 / 09:52 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:37 PM IST

मास्को। रूस के प्रेसिडेंट राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरीका और पाकिस्तान की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए कहा कि रूस की भारत को सतह से हवा में मार करने वाली ‘एस-400 प्रक्षेपास्त्र प्रणाली की आपूर्ति तय कार्यक्रम के मुताबिक ही करेगा। भारत ने साल 2015 में सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली एस-400 ‘ट्रिम्फ’ के लिए रुस से समझौता करने की इच्छा दर्शाई थी। प्रेसीडेंट पुतिन के पिछले साल हुए भारत दौरे के दौरान 5.43 अरब अमेरिकी डालर के इस करार पर हस्ताक्षर किये गए थे।

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ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन समारोह के बाद एक अनौपचारिक चर्चा में संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जब एस-400 की आपूर्ति की बात आती है तो सब कुछ तय योजना के मुताबिक होगा।”पुतिन के हवाले से एक एजेंसी ने बताया है कि “भारतीय समकक्ष (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने किसी भी चीज में तेजी लाने को नहीं कहा क्योंकि सब कुछ ठीक चल रहा है।”

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रूस के साथ ‘एस-400’ सौदे का अमेरिका विरोध कर रहा है और ट्रंप प्रशासन ने धमकी दी थी कि वह रूस से हथियार और सैन्य सामग्री हासिल करने वाले देशों पर पाबंदी लगाएगा। अमेरिका के राजनयिक ने भारत को चेतावनी भरे लहजे में समझाया था कि अमेरिका के विरोधियों से निपटने के कानून (सीएएटीएसए) के तहत एस-400 सौदे को लेकर उस पर प्रतिबंध लग सकता है। यह कानून रूस, ईरान और उत्तर कोरिया से रक्षा खरीद पर रोक लगाता है।

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भारत ने हालांकि अमेरिका को बता दिया था कि रूसी’ एस-400 वायु रक्षा प्रक्षेपास्त्र प्रणाली की खरीद को रद्द करने का उसका कोई इरादा नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जून में अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पियो को दिल्ली में बताया था कि दूसरे देशों से लेनदेन करते समय भारत अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखेगा। एस-400 लंबी दूरी की अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है जो 2007 से रूस में सेवा में है। एस-400 400 किलोमीटर की दूरी और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक लक्ष्य पर निशाना साध सकती है। अधिकारी ने कहा, “अनुबंध के क्रियान्वयन की शर्तें सबको पता हैं। 2023 तक हर हाल में इस प्रणाली की भारत को आपूर्ति की जानी है।”