श्रीलंका: संविधान संशोधन का सत्ताधारी दल के भीतर हो रहा विरोध

श्रीलंका: संविधान संशोधन का सत्ताधारी दल के भीतर हो रहा विरोध

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  • Publish Date - September 13, 2020 / 12:14 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:06 PM IST

कोलंबो, 13 सितंबर (भाषा) श्रीलंका की सरकार द्वारा प्रस्तावित 20वें संविधान संशोधन को संसद के आदेश पत्र में शामिल किए जाने से पहले सत्तारूढ़ दल एसएलपीपी के संसदीय समूह के एक धड़े से ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

पार्टी के सदस्यों ने रविवार को यह बात कही।

सरकार ने दो सितंबर को 20वें संविधान संशोधन मसौदे की गजट अधिसूचना जारी की थी।

यह नया प्रस्तावित संशोधन वर्ष 2015 में लाए गए 19वें संशोधन की जगह लेगा जिससे राष्ट्रपति की शक्तियों में कटौती की गई थी तथा संसद को और शक्तियां प्रदान की गई थीं।

संविधान में किए गए 19वें संशोधन को श्रीलंका में सबसे प्रगतिशील और लोकतंत्र को मजबूत करने वाला सुधार माना गया था।

इससे सरकारी प्रशासन का गैर राजनीतिकरण हुआ और न्याय व्यवस्था, लोक सेवा तथा चुनाव प्रणाली और अधिक स्वतंत्र हुई।

संविधान के प्रस्तावित 20वें संशोधन में ऐसे प्रावधान हैं जिनसे राष्ट्रपति को किसी भी कानून से पूरी तरह छूट दी गई है।

शनिवार रात प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के कार्यालय की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि 20वें संशोधन की समीक्षा करने के लिए नौ सदस्यीय मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है और जरूरत पड़ने पर नया गजट जारी किया जाएगा।

समिति द्वारा 15 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपे जाने की उम्मीद है।

भाषा यश नेत्रपाल

नेत्रपाल