संयुक्त राष्ट्र, सात अगस्त (एपी) अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की समीक्षा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र जांचकर्ता ने कहा है कि देश में तालिबान शासकों ने महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार करने के लिए कानूनी और न्यायिक प्रणाली को ‘‘हथियार के तौर पर इस्तेमाल’’ किया है जो ‘‘मानवता के खिलाफ अपराध’’ के समान है।
जांचकर्ता रिचर्ड बेनेट ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा कि 2021 में सत्ता हथियाने के बाद तालिबान ने 2004 के संविधान और महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों को निलंबित कर दिया। इनमें वह ऐतिहासिक कानून भी शामिल है जिसने बलात्कार, बाल विवाह और जबरन विवाह सहित महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 22 रूपों को अपराध घोषित किया था।
उन्होंने कहा कि तालिबान ने पिछली अमेरिका समर्थित सरकार के सभी न्यायाधीशों को बर्खास्त कर दिया जिनमें लगभग 270 महिलाएं भी शामिल थीं और उनकी जगह उसके कट्टर इस्लामी विचारों को मानने वाले ऐसे पुरुषों को नियुक्त किया गया जिनके पास कानूनी प्रशिक्षण नहीं है और जो तालिबान द्वारा जारी किए गए आदेशों के आधार पर फैसले सुनाते हैं।
बेनेट ने कहा कि तालिबान ने कानून प्रवर्तन और जांच एजेंसियों पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया है और पिछली सरकार के लिए काम करने वाले अधिकारियों को व्यवस्थित रूप से हटा दिया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त बेनेट ने अपनी रिपोर्ट में महिलाओं और लड़कियों के लिए न्याय एवं सुरक्षा तक पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया है।बेनेट ने बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए 110 से अधिक अफगान नागरिकों के साथ बैठकें, सामूहिक चर्चाएं और व्यक्तिगत साक्षात्कार किए।
तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से उसने महिलाओं और लड़कियों पर व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं जिनकी वैश्विक स्तर पर निंदा की गई।
एपी सिम्मी शोभना
शोभना