इस्लामाबाद। Pakistani Beggars पाकिस्तान में भीख मांगना अब महज मजबूरी नहीं, बल्कि एक संगठित उद्योग का रूप ले चुका है। खुद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ के बयान ने इस हकीकत को उजागर कर दिया है। उनके अनुसार पाकिस्तान में मौजूद भिखारी हर साल करीब 42 अरब रुपये की कमाई करते हैं। हैरानी की बात यह है कि यह धंधा अब देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पाकिस्तानी भिखारी और गिरोह विदेशों तक फैल चुके हैं। पाकिस्तानी नागरिक टूरिस्ट और तीर्थ यात्री बनकर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ओमान और अन्य खाड़ी देशों में पहुंचते हैं। इन देशों में भीख मांगना कानूनी रूप से अपराध है, इसके बावजूद पाकिस्तानी भिखारी वहां सक्रिय पाए जाते हैं। हाल ही में सऊदी अरब ने भीख मांगने के आरोप में 56 हजार पाकिस्तानी नागरिकों को डिपोर्ट किया है, जिससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर सवाल खड़े हो गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने अप्रैल में संसद को बताया था कि पाकिस्तान में करीब 2.2 करोड़ भिखारी हैं, जो सालाना न्यूनतम 42 अरब रुपये कमा रहे हैं। उन्होंने यह भी माना कि भिखारियों की बढ़ती संख्या विदेशों में पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। आंकड़ों के अनुसार, अकेले सऊदी अरब ने कम से कम 4,700 पाकिस्तानी भिखारियों को निर्वासित किया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान में भीख मांगना तकनीकी रूप से गैरकानूनी है। वर्ष 1958 में लागू ‘आवारागर्दी अध्यादेश’ के तहत भीख मांगने या बच्चों से भीख मंगवाने पर तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद भीख मांगने का संगठित नेटवर्क खुलेआम फल-फूल रहा है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसे रोकने के लिए प्रशासनिक मशीनरी प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पा रही है।
Pakistani Beggars स्थिति यह है कि पाकिस्तान के संगठित गिरोह अब विदेशों में भी भीख मंगवाने का नेटवर्क चला रहे हैं। पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने एक संसदीय समिति को जानकारी दी थी कि सऊदी अरब ने 2024 में बीते तीन वर्षों के दौरान करीब 4,000 पाकिस्तानी भिखारियों को निर्वासित किया है। सऊदी अरब में भीख मांगने पर सख्त कानूनी प्रतिबंध है। वहां लागू कानून के तहत भीख मांगने या ऐसे गिरोहों में शामिल लोगों पर भारी जुर्माना और जेल की सजा दी जाती है। विदेशी नागरिकों को सजा पूरी होने के बाद देश से बाहर भी कर दिया जाता है। इसके बावजूद पाकिस्तानी भिखारियों की लगातार मौजूदगी इस बात की ओर इशारा करती है कि यह समस्या पाकिस्तान के भीतर गहरी जड़ें जमा चुकी है।