धीरे-धीरे खत्म हो रहा है टाइटैनिक का मलबा

धीरे-धीरे खत्म हो रहा है टाइटैनिक का मलबा

धीरे-धीरे खत्म हो रहा है टाइटैनिक का मलबा
Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 pm IST
Published Date: June 30, 2021 3:34 pm IST

वाशिंगटन, 30 जून (एपी) वर्ष 1912 में उत्तर अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराने के बाद डूब चुके प्रसिद्ध यात्री जहाज आरएमएस टाइटैनिक का मलबा भी अब धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। जहाज में धातु की बनी चीजें भी धीरे-धीरे गल रही हैं। निगरानी के लिए जहाज में बना एक विशेष कक्ष पहले ही खत्म हो चुका है और अब जहाज की धनुष आकार की रेलिंग कभी भी गिर सकती है।

ओशियन गेट एक्सपीडीशंस कंपनी की ओर से शुरू किए गए एक खोजी अभियान में यह जानकारी सामने आई है।

ओशियन गेट एक्सपीडीशंस के अध्यक्ष स्टॉकटॉन रश ने कहा, “ महासागर में जहाज का मलबा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। इससे पहले कि यह पूरी तरह से लुप्त हो जाए और इसकी पहचान नहीं हो सके। हमें इसका दस्तावेजीकरण करना चाहिए।“

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109 साल पुराने समुद्री जहाज के मलबे को गहरे समुद्र की धाराओं और जीवाणुओं से खासा नुकसान हो रहा है। ये जीवाणु एक दिन में सैकड़ों पाउंड लोहे को चट कर सकते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि आने वाले कुछ दशकों में टाइटैनिक का मलबा पूरी तरह से खत्म हो सकता है, क्योंकि मलबे के अधिकतर हिस्सों में बड़े-बड़े गढ्ढे हो गए हैं और जहाज के कई हिस्से अलग होकर बिखरने लगे हैं।

वर्ष 1985 में समुद्र में टाइटैनिक के मलबे की खोज के बाद से अब तक जहाज का 100 फुट लंबा मस्तूल ढह चुका है। जहाज का वह निगरानी कक्ष, जहां से हिमखंड होने के बारे में चिल्लाकर जानकारी दी गयी थ, वह कक्ष भी लुप्त हो चुका है। जहाज का सबसे ऊपर का डेक भी मुड़ गया है।

जहाज में शाही लोगों के आने-जाने के लिए बनी सीढ़ी के नजदीक बना जिम भी पूरी तरह से गिर चुका है। 2019 में एक खोजी अभियान में जहाज के कप्तान के स्नान टब के बारे में पता चला था, लेकिन अब वो भी लापता हो गया है।

ओशियन गेट ने कहा कि वह अपने खोजी अभियान के दौरान टाइटैनिक के मलबे में से कुछ नहीं लेगा।

वर्ष 2003 में, टाइटैनिक हिस्टोरिकल सोसाइटी के तत्कालीन अध्यक्ष एड कामुडा ने द एसोसिएटेड प्रेस से कहा था कि टाइटैनिक के मलबे वाली जगह में पर्यटन और अभियानों सहित मानव गतिविधि को सीमित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि वह स्थल एक समुद्री स्मारक होना चाहिए और उसे वैसे ही छोड़ दिया जाना चाहिए।

एपी

रवि कांत नरेश

नरेश


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