सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए ‘व्यापक परामर्श’ के माध्यम से समाधान की आवश्यकता : चीन

सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए 'व्यापक परामर्श' के माध्यम से समाधान की आवश्यकता : चीन

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  • Publish Date - February 29, 2024 / 09:58 PM IST,
    Updated On - February 29, 2024 / 09:58 PM IST

(के जे एम वर्मा)

बीजिंग, 29 फरवरी (भाषा) चीन ने बृहस्पतिवार को उस आलोचना को खारिज कर दिया कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सदस्य के रूप में भारत के प्रवेश को बाधित कर रहा है।

चीन ने साथ ही कहा कि वह गंभीर और गहन परामर्श के माध्यम से ‘पैकेज समाधान’ तैयार करने के लिए ‘व्यापक आम सहमति’ की आवश्यकता पर जोर दे रहा है।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि दुनिया को उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र वैश्विक चुनौतियों से निपटने में प्रभावी ढंग से अग्रणी भूमिका निभाएगा।

वांग यी ने कहा कि चीन विकासशील देशों की आवाज उठाने के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में ‘सही दिशा’ में सुधार का समर्थन करता है।

वांग ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के यूएनएससी सुधार पर अंतर सरकारी वार्ता (आईजीएन) के सह-अध्यक्षों तारेक एम ए एम अल्बानाई और अलेक्जेंडर मार्शचिक के साथ यहां एक बैठक के दौरान यह बात कही।

वांग यी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीते सप्ताह एक कार्यक्रम में कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों का कम दूरदर्शी नजरिया इस वैश्विक निकाय में बहुत अधिक समय से लंबित सुधारों की राह में आगे बढ़ने में एक बाधा है।

रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं। वे संयुक्त राष्ट्र की इस शीर्ष निकाय में किसी भी ठोस प्रस्ताव को वीटो कर सकते हैं।

‘रायसीना डायलॉग’ के एक सत्र में उन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का ‘‘सबसे बड़ा’’ विरोधी कोई पश्चिमी देश नहीं है। उनकी इस टिप्पणी को चीन के परोक्ष संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है।

समसामयिक वैश्विक वास्तविकता को प्रतिबिंबित करने के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ती जा रही है, जिसमें भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और जापान प्रबल दावेदार हैं।

भाषा रवि कांत अविनाश

अविनाश

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