नई दिल्ली। बदलते दौर में आज हर हाथ में मोबाइल है। एक तरफ से देखा जाए तो आज मोबाइल हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। मोबाइल हमारे जीवन में इस तरह से घुस गया है कि हम अपनों को कम और मोबाइल को ज्यादा समय दे रहे हैं। जिसकी वजह से परिवारों में तनाव भी देखने को मिल रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि एक सर्वे के माध्यम से ये बातें सामने आई हैं।
अमेरिकन एक्सप्रेस और शोध कंपनी मॉर्निग कंसल्ट द्वारा किए गए सर्वे के की मानें तो लगभग एकतिहाई भागीदारों ने भारत में पिछले दो वर्षों में काम के दौरान मोबाइल को ज्यादा वक्त दिया, जिनमें 38 फीसदी ने इसके लिए प्रौद्योगिकी को जिम्मेदार माना।
ऐसे देखा जाए तो आज हमने मोबाइल को अपने जीवन में कुछ इस तरह घुसा लिया है, कि अगर हम कुछ समय के लिए मोबाइल से दूरी बनाते हैं तो हमें अधूरापन महसूस होता है। आए दिन मोबाइल से लोगों की जान जाने की खबरें आती हैं, लेकिन हम फिर भी हम मोबाइल का इस्तेमाल करना कम नहीं करते। हम ये भूल गए हैं कि मोबाइल हमारे लिए बना न कि हम मोबाइल के लिए बने हैं।
अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग के भारत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज अदलखा ने बताया कि सर्वेक्षण ‘लिव लाइफ’ कामकाजी जीवन संतुलन से कामकाजी जीवन एकीकरण में रूपांतरण को रेखांकित करता है। मॉर्निग कंसल्ट ने शोध के लिए अमेरिकन एक्सप्रेस की ओर से आठ बाजारों- भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हांगकांग, जापान, मेक्सिको, ब्रिटेन और अमेरिका में शोध किए।
कंपनी ने भारत में 7-14 मार्च, 2018 को ऑनलाइन सर्वेक्षण के जरिए लगभग 2,000 लोगों से सवाल जवाब किए, शोध में खुलासा हुआ कि दैनिक जीवन में मोबाइल रहित समय बढ़ाने के पक्ष में अधिक आयु वालों से ज्यादा कम आयु के लोग थे।
वेब डेस्क, IBC24