PhD के लिए अब सिर्फ 6 साल, शोधार्थियों को 3 साल में अपना पूरा कोर्स वर्क, ऑनलाइन और डिस्टेंस की इजाजत नहीं

यूजीसी की ओर से पीएचडी के लिए नई गाइडलाइन जारी की है अब शोधार्थियों को अधिकतम 6 साल का समय दिया जाएगा! ugc phd regulations, 2022 pdf

PhD के लिए अब सिर्फ 6 साल, शोधार्थियों को 3 साल में अपना पूरा कोर्स वर्क, ऑनलाइन और डिस्टेंस की इजाजत नहीं

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 pm IST
Published Date: November 21, 2022 11:47 am IST

नई दिल्ली: ugc phd regulations 2022 pdf यूजीसी की ओर से पीएचडी करने वाले शोधा​र्थियों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। जारी गाइडलाइन के अनुसार अब शोधार्थियों को अधिकतम 6 साल का समय दिया जाएगा। जबकि शोधार्थियों को 3 साल में अपना पूरा कोर्स वर्क करना होगा। ये तीन साल रजिस्ट्रेशन की डेट से गिना जाएगा।

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ugc phd regulations 2022 pdf वहीं, रीरजिस्ट्रेशन के जरिए ज्यादा से ज्यादा शोधार्थियों को दो साल का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है। महिलाओं को दो साल की एक्स्ट्रा छूट दी जा सकती है। यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार का कहना है कि यूजीसी के नए नियमों से पढ़ाई में अच्छे स्टूडेंट्स कम उम्र में पीएचडी कोर्सेज में प्रवेश करेंगे।

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ये होंगे नए नियम

  • – अब कहीं भी सेवारत कर्मचारी या शिक्षक पार्टटाइम पीएचडी कर सकेंगे। पहले सरकारी सेवारत कर्मचारियों या शिक्षकों को शोध करने के लिए अपने विभाग से अध्ययन अवकाश लेना पड़ता था।
  • – ऑनलाइन या दूरस्थ विधि से पीएचडी नहीं की जा सकती।
  • – पहले थीसिस जमा कराने से पहले शोधार्थी को कम से कम दो शोधपत्र संदर्भित शोध पत्रिकाओं में छपवाना पड़ता था। अब पीएचडी के नए नियमों में इसकी छूट दी गई है। रिसर्च की प्रक्रिया के दौरान दो रिसर्च पेपर छपवाने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।
  • – रिसर्च पेपर की अनिवार्यता खत्म कर दी है।
  • – जब कोई थीसिस जमा कर दे तो विश्वविद्यालयों को अधिकतम छह महीने के अंदर वायवा कराना होगा। पहले छात्र थीसिस जमा करने के बाद सालभर डेढ़ साल तक वायवा के लिए चक्कर काटते रहते थे।
  • – यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक शादी के चलते या अन्य कारणों से पीएचडी कर रही महिला दूसरी जगह जाती है और वहां के किसी संस्थान में पीएचडी जारी रखना चाहती है तो उसे अनुमति दी जाएगी। उन्हें बार-बार भाग कर अपने शहर पीएचडी पूरी करने के लिए नहीं आना पड़ेगा।
  • – नए नियमों के मुताबिक ऐसे स्थायी अध्यापक जिनकी रिटायरमेंट में तीन साल बचे हैं वह शोध के लिए किसी छात्र का नामांकन नहीं करा सकते, हालांकि वह को-गाइड के रूप में अधिकतम 70 वर्ष तक पीएचडी करा सकते हैं।

 

 

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