High Court on Virginity Test:

High Court on Virginity Test : ‘पत्नी नहीं कराएगी वर्जिनिटी टेस्ट, आप चाहें तो नपुसंकता की जांच करवा सकते हैं’ पति की याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला

High Court on Virginity Test : 'पत्नी नहीं कराएगी वर्जिनिटी टेस्ट, आप चाहें तो नपुसंकता की ांच करवा सकते हैं' पति की याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला

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Reported By: Vishal Vishal Kumar Jha

Modified Date: March 27, 2025 / 11:16 AM IST
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Published Date: March 27, 2025 11:16 am IST
HIGHLIGHTS
  • हाईकोर्ट ने वर्जिनिटी टेस्ट की मांग को असंवैधानिक ठहराया
  • संविधान के अनुच्छेद 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा) का उल्लंघन बताया
  • पति खुद पर लगे आरोपों को गलत साबित करना चाहता है, तो वह मेडिकल जांच करवा सकता है

बिलासपुर: High Court on Virginity Test  हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में पति द्वारा पत्नी के कौमार्य परीक्षण की मांग को असंवैधानिक ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि अगर आपको नपुसंकता के आरोपों को गलत साबित करना है तो खुद का मेडिकल जांच करवा सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की मांग न केवल महिलाओं की गरिमा के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के भी विपरीत है।

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High Court on Virginity Test  दरअसल रायगढ़ के रायगढ़ जिले के रहने वाले एक युवक की शादी 30 अप्रैल 2023 को हिंदू रीति रिवाज से हुई थी। विवाह के कुछ दिनों तक पति-पत्नी के बीच संबंध ठीक रहा। लेकिन, कुछ महीने बाद ही पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया। जिसके बाद पति-पत्नी अलग रहने लगे। वहीं, संबंधों में दरार आने के बाद पत्नी ने न्याय की गुहार लगाते हुए रायगढ़ के फैमिली कोर्ट में जुलाई 2024 में परिवाद प्रस्तुत की।

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पारिवारिक न्यायालय में जुलाई 2024 को दर्ज एक मामले में पत्नी ने ₹20,000 प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण की मांग की थी। पत्नी ने अपने पति पर नपुंसकता का आरोप लगाया, जबकि पति ने पत्नी के अपने बहनोई से अवैध संबंध होने की बात कही और उसके कौमार्य परीक्षण की मांग की।

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पति की इस याचिका को पारिवारिक न्यायालय ने खारिज कर दिया, जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने क्रिमिनल रिवीजन की सुनवाई के दौरान इस पर गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, कौमार्य परीक्षण असंवैधानिक है और महिला की गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है, अगर पति खुद पर लगे आरोपों को गलत साबित करना चाहता है, तो वह खुद का मेडिकल परीक्षण करा सकता है, लेकिन पत्नी पर ऐसा आरोप थोपना अवैध है।

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क्या कोर्ट ने पत्नी के वर्जिनिटी टेस्ट की मांग को सही ठहराया?

नहीं, हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए याचिका खारिज कर दी।

हाईकोर्ट ने पति को क्या सुझाव दिया?

कोर्ट ने कहा कि अगर पति खुद पर लगे नपुंसकता के आरोप को गलत साबित करना चाहता है, तो वह अपनी मेडिकल जांच करवा सकता है।

संविधान के किस अनुच्छेद के तहत कोर्ट ने फैसला सुनाया?

संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत यह फैसला दिया गया।

पत्नी ने पति पर क्या आरोप लगाए थे?

पत्नी ने पति पर नपुंसकता का आरोप लगाते हुए ₹20,000 प्रतिमाह भरण-पोषण की मांग की थी।

क्या वर्जिनिटी टेस्ट करवाना भारत में कानूनी रूप से अनिवार्य है?

नहीं, वर्जिनिटी टेस्ट पूरी तरह से गैरकानूनी और असंवैधानिक है।