Bhuiyan ke Bhagwan: मेहनत वो सुनहरी चाबी है जो बंद भविष्य के दरवाजे भी खोल देती है। ये कहावत यदि किसी किसान के लिए कही जाए तो उसपर बिल्कुल सटीक बैठेगी। इस कहावत को यदि किसी ने चरितार्थ किया है तो वह हैं बेमेतरा जिले के ताम्रध्वज पटेल। शिक्षा के क्षेत्र में भले ही वह ज्यादा सफल नहीं हो पाए पर उन्होंने अपने पैतृक गांव में जमकर खेती किसानी की और दिन रात मेहनत कर अपने पसीने से खेतों को सींचा।
Bhuiyan ke Bhagwan: बता दें कि ताम्रध्वज पटेल ने शुरूवात में पारंपरिक खेती ही की पर ज्यादा सफल नहीं हो पाए। जिसके बाद उन्होंने उद्यानिकी के क्षेत्र में काम किया और खूब सफल हुए। उन्होंने शुरूवाती दौर में दो से तीन एकड़ में पपीता, बैंगन, टमाटर की खेती की और आज वह 20 एकड़ से ज्यादा में सब्जी और पपीता की खेती कर प्रति एकड़ डेढ़ से ढाई लाख की कमाई कर रहे हैं। इस क्षेत्र में वह इतने ज्यादा सफल हुए कि उनके आस-पास के गांव के लोग भी उनसे खेती के टिप्स लेने पहुंच रहें हैं और अपनी खेती में भी उसे आजमा रहे हैं। जिनका उन्हें फायदा भी मिल रहा है। उन्होंने अपने नवाचार के जरिए कृषि को एक नई पहचान दी है।
Bhuiyan ke Bhagwan: सबसे अच्छी बात यह है कि उनको कृषि में मिली सफलता को देखते हुए अब वह अपने बेटे को भी कृषि की ही पढ़ाई करा रहें हैं। जहां आजकल के युवाओं में कृषि के क्षेत्र में रुचि खत्म हो रही है ऐसे में उनके द्वारा ये कदम लेना काफी सराहनीय है। उद्यानिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले ताम्रध्वज पटेल को भुइंया के भगवान सम्मान देते हुए IBC24 काफी गर्वान्वित महसूस कर रहा है।