Vande Bharat: अपराधी बेकाबू.. बेबस सुशासन बाबू! चुनावी साल में सुशासन पर सवाल, बिहार में फिर जंगलराज जैसा आलम क्यों ?
अपराधी बेकाबू.. बेबस सुशासन बाबू! Crime rate is suddenly increasing in Bihar during the election time, Read
पटनाः Vande Bharat: बिहार में विधानसभा चुनाव लगता है जैसे दो ही मुद्दे बचे हैं। एक वोटर वैरिफिकेशन और दूसरा अचानक बढ़ता क्राइम ग्राफ। कोई ऐसा दिन हीं बीत रहा जब किसी बिजनेसमैन, वकील, कारोबारी या बैंक मैनेजर को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। सवाल उठाया जा रहा है कि बिहार देश के टॉप थ्री क्राइम स्टेट्स में शुमार क्यों है? सवाल उठाया जा रहा है कि सुशासन बाबू के राज में जंगलराज जैसा आलम क्यों?
Vande Bharat: कुएं से पटना के बैंक मैनेजर अभिषेक वरूण की लाश मिली है। अभिषेक सोमवार रात से लापता थे। इसी कुएं से उनकी स्कूटी भी बरामद हुई। हाल के दिनों में बिहार की राजधानी पटना की ये कोई पहली घटना नहीं है बल्कि कत्ल की वारदातों का एक सिलसिला है जो थमता नहीं दिख रहा। 13 जुलाई को एडवोकेट जितेंद्र कुमार महतो की सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। 11 जुलाई को किराना कारोबारी विक्रम झा को निशाना बनाकर मौत के घाट उतार दिया। 10 जुलाई को अपराधियों ने बालू कारोबारी रमाकांत यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी तो 4 जुलाई को मशहूर बिजनेसमैन गोपाल खेमका को उनके घर के गेट पर ही गोली मार दी गई। बिहार में चुनाव के चलते हत्या की इन सीरियल वारदातों ने सियासी पारा को गर्मा दिया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने X पर लिखा कि ‘बिहार भारत की अपराध की राजधानी बन गया है..हर गली में डर और बेचैनी है! बेरोजगार युवाओं को ‘गुंडा राज’ के जरिए हत्यारों में बदल दिया जा रहा है। 11 दिनों में 31 हत्याएं हुई हैं और राज्य में कथित “कॉन्ट्रैक्ट किलिंग इंडस्ट्री” चल रही है।
विपक्ष जहां अपराध की वारदातों पर सवाल खड़े कर रहा है। वहीं बिहार चुनाव में बड़ा दांव लगाने जा रहे केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान पुलिस पर बरसे। X पर लिखा कि बिहारी अब और कितनी हत्याओं की भेंट चढ़ेंगे? समझ से परे है कि बिहार पुलिस की जिम्मेदारी क्या है? विपक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के आरोपों को नीतीश सरकार सिरे से खारिज कर रही है। हत्या की वारदातों पर सियासत अपनी जगह हैं, लेकिन ये भी सच है कि बिहार का आपराधिक रिकॉर्ड चिंता बढ़ा रहा है। राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में बीते 14 दिनों में हत्या की 50 वारदातें सामने आ चुकी है। बेलगाम अपराध ने बिहार में वोटर वेरिफिकेशन के मुद्दे को भी पीछे धकेल दिया है। बार-बार जंगलराज की बात करने वाली नीतीश सरकार खुद कटघरे में खड़ी है।

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