Bihar Chunav 2025/Image Source: IBC24
पटना: Bihar Chunav 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों ने जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वादों की झड़ी लगा दी है। लेकिन इन वादों की कीमत इतनी भारी है कि अगर इन्हें वास्तव में लागू किया गया, तो राज्य का खजाना खाली हो सकता है। विशेषज्ञों और सरकारी रिपोर्टों की मानें तो इन घोषणाओं को पूरा करना बिहार की वित्तीय सेहत पर गंभीर असर डाल सकता है।
Bihar Chunav 2025: आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले नीतीश कुमार सरकार ने लगभग सभी वर्गों को साधने की कोशिश की। 1.21 करोड़ महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता योजना के तहत 10,000 रुपये सीधे उनके खातों में ट्रांसफर किए गए। इसका उद्देश्य उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना है। अगस्त से राज्य के 1.89 लाख बिजली उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का ऐलान किया गया। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया। 18 से 25 साल के लगभग 12 लाख बेरोजगार युवाओं को 1,000 रुपये मासिक भत्ता देने की घोषणा की गई है। 16 लाख पंजीकृत मजदूरों को 5,000 रुपये का एकमुश्त कपड़ा भत्ता मिलेगा। जीविका दीदियों, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में भी वृद्धि की गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इन तमाम योजनाओं पर सरकार को कुल मिलाकर करीब 40,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। ये रकम राज्य की कुल सालाना आय (लगभग 56,000 करोड़ रुपये) का करीब 75% है। ऐसे में विकास आधारभूत ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे आवश्यक क्षेत्रों के लिए राशि बचा पाना मुश्किल होगा।
Bihar Chunav 2025: राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में पीछे न रहने के लिए राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार से भी बड़ा वादा कर दिया। उन्होंने घोषणा की है कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य के हर परिवार को सरकारी नौकरी दी जाएगी। बिहार जाति आधारित सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में 2.76 करोड़ परिवार हैं। अगर हर परिवार को सरकारी नौकरी दी जाती है और औसतन एक कर्मचारी की वेतन 30,000 रुपये प्रतिमाह मानी जाए, तो इस योजना को लागू करने के लिए सालाना 90,000 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत होगी जो राज्य की वर्तमान सालाना कमाई से लगभग दो गुना है। बिहार के वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि ये वादे लागू किए गए, तो राज्य की 80% कमाई सिर्फ इन लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च हो जाएगी। इससे विकास कार्यों और आधारभूत संरचनाओं पर खर्च करने की गुंजाइश न के बराबर रह जाएगी।