(प्रमोद कुमार)
पटना, 14 फरवरी (भाषा) बिहार सरकार ने फसलों को बचाने के वास्ते जंगली सूअरों और नीलगायों को मारने के लिए 13 पेशेवर निशानेबाजों को नियुक्त किया है।
बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पी के गुप्ता ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने पेशेवर निशानेबाजों की सूची प्रदेश के सभी 38 जिलों से संबंधित अधिकारियों को भेज दी है, ताकि जहां भी आवश्यकता हो उनकी सेवाओं का उपयोग किया जा सके।
उन्होंने कहा कि जिन जिलों में ये दो पशु प्रजातियां बड़ी संख्या में पाई जाती हैं उनमें मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, भोजपुर, शिवहर और पश्चिम चंपारण शामिल हैं।
गुप्ता ने कहा कि ये दो पशु प्रजातियां झुंड में चलती हैं और एक दिन में कई एकड़ फसल को नष्ट कर देती हैं।
बिहार के कुछ जिलों में किसान अपनी तैयार फसलों को उनसे बचाने के लिए पूरी रात बाहर बैठे रहते हैं। गुप्ता ने कहा कि नीलगाय और जंगली सूअर, दोनों को निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार मारा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि केवल पूर्ण विकसित जानवरों को मारने का प्रयास किया जाना चाहिए और निशानेबाजों को निर्देश दिया गया है कि वे मारने के अभियान के दौरान मानदंडों का पालन करें।
गुप्ता ने कहा कि फसलों को नुकसान पहुंचाने के अलावा नीलगाय सड़क हादसों का कारण भी बनती हैं। उन्होंने कहा कि जानवरों को मारने से लेकर उन्हें दफनाने तक के अभियान में मुखिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
गुप्ता ने कहा कि सभी मुखिया को आवश्यकता पड़ने पर अत्यधिक सावधानी के साथ दोनों पशुओं को मारने के लिए पेशेवर निशानेबाजों को शामिल करना होगा।
उन्होंने कहा कि वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम-1972 के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित क्षेत्र के बाहर पेशेवर निशानेबाजों की मदद से दोनों पशुओं की पहचान करने और उन्हें मारने की अनुमति देने के लिए मुखिया को ‘नोडल अथॉरिटी’ के रूप में नियुक्त किया गया है।
गुप्ता ने कहा कि संबंधित मुखिया अपने क्षेत्र के किसानों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर पर्यावरण एवं वन विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय कर भाड़े के शूटरों द्वारा नीलगायों और सूअरों को मारने की अनुमति दे सकता है।
उन्होंने प्रक्रिया की व्याख्या करते हुए कहा कि राज्य सरकार मुखिया को कारतूस के लिए एक विशिष्ट राशि प्रदान करेगी जिसका उपयोग नीलगायों और जंगली सूअरों को मारने में होगा, जबकि जानवरों को दफनाने के लिए 700 रुपये दिये जाएंगे।
गुप्ता ने कहा कि एक मुखिया अपने क्षेत्र के किसानों की शिकायतों के उचित सत्यापन के बाद ही निशानेबाजों को शिकार परमिट जारी करेगा।
मुख्य वन्यजीव वार्डन ने कहा कि मुखिया को अपने संबंधित क्षेत्रों में अनुमति और जानवरों के शिकार की मासिक रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत करनी होगी।
राज्य में नीलगायों या जंगली सूअरों की संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
बिहार सरकार के इस कदम का पशु-प्रेमियों ने विरोध किया है और मांग की है कि सरकार इस समस्या का दीर्घकालिक समाधान ढूंढे और जानवरों को मारने की अनुमति न दे।
देश में ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल (एचएसआई) के प्रबंध निदेशक आलोकपर्ण सेनगुप्ता ने कहा कि किसी भी जानवर की हत्या की निंदा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को एक दीर्घकालिक समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए और इन दो पशुओं को इस तरह से मारने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
यह एक तथ्य है कि कई राज्य सरकारों ने पहले ही दोनों जानवरों को मारने की अनुमति दे दी है, लेकिन वहां इनके द्वारा फसल बर्बाद किये जाने की समस्या अब भी बरकारा है।
भाषा अनवर संतोष
संतोष