नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) अभिनव बिंद्रा की अध्यक्षता में खेल मंत्रालय द्वारा गठित कार्यबल ने भारत में खेल प्रशासन की कमियों को रेखांकित करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों समेत विशेष कैडर को ट्रेनिंग देने के लिये एक स्वायत्त वैधानिक ईकाई के गठन की सिफारिश की है ।
कार्यबल ने 170 पन्नों की अपनी रिपोर्ट खेलमंत्री मनसुख मांडविया को सौंप दी है जिन्होंने मंगलवार को पत्रकारों से कहा ,‘‘ भारत के खेल ‘इकोसिस्टम’ को पेशेवर बनाने के अपने प्रयास के तहत कार्यबल की सभी सिफारिशों को लागू किया जायेगा ।’’
ओलंपिक 2036 तक भारत को शीर्ष दस खेल देशों में शामिल करने के अपने लक्ष्य के तहत खेल मंत्रालय ने भारतीय खेल प्राधिकरण, राष्ट्रीय खेल महासंघों और प्रदेश संघों के मौजूदा प्रशासनिक ढांचे की समीक्षा करने, कमियों को तलाशने और सुधार के उपायों के लिये इस कार्यबल का गठन किया था ।
कार्यबल ने खेल शिक्षा और सामर्थ्य निर्माण राष्ट्रीय परिषद (एनसीएसईसीबी) के गठन की अनुशंसा की है जो खेल मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त ईकाई के रूप में काम करेगी और इसके जिम्मे खेल प्रशासन ट्रेनिंग को विनियमित करने, मान्यता देने और प्रमाणित करने की जिम्मेदारी होगी ।
नौ सदस्यीय कार्यबल इस साल अगस्त में बनाया गया था जिसमे ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज बिंद्रा के अलावा आदिले सुमरिवाला और टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना के पूर्व सीईओ कमांडर राजेश राजगोपालन भी शामिल थे ।
कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है ,‘‘खेल प्रशासकों में पेशेवर कैडर का अभाव है और संस्थागत निरंतरता भी कमजोर है । इसके अलावा ट्रेनिंग के मौके व्यवस्थित और आधुनिक नहीं है जिसमे निरंतर पेशेवर विकास पर फोकस सीमित है ।’’
इसमें यह भी कहा गया कि खिलाड़ियों के रिटायर होने के बाद खेल प्रशासन में आने के रास्ते सीमित हैं चूंकि अधिकांश खिलाड़ियों में इसके लिये जरूरी कौशल का अभाव है । इसके साथ ही खेल प्रशासन में डिजिटल टूल और विश्लेषण का प्रयोग भी बहुत कम है ।
कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में खेल प्रशासकों की क्षमता को मजबूत करने के लिए एक नियोजन और सुधार साधन के रूप में पांच स्तरीय क्षमता परिपक्विता मॉडल (सीएमएम) शुरू करने का आह्वान किया है। इसका उद्देश्य भारतीय खेल प्राधिकरण, राष्ट्रीय खेल महासंघों और राज्य विभागों को कैडर संरचना, पाठ्यक्रम अपनाने, डिजिटल सक्षमता और एथलीट मार्गों में संस्थागत परिपक्वता का आकलन करने में सक्षम बनाना है।
बिंद्रा ने रिपोर्ट में कहा ,‘‘ हमने खिलाड़ियों, सरकारी अधिकारियों, साइ अधिकारियों, एनएसएफ प्रतिनिधियों, राज्य संघों, शिक्षाविदों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों से मशविरा किया ।’’
रिपोर्ट में खेल नीतियों के कार्यान्वयन में प्रशासनिक और राज्य सिविल सेवा अधिकारियों की भूमिका को देखते हुए उनके प्रशिक्षण में खेल शासन प्रशिक्षण मॉड्यूल को एकीकृत करने की भी सिफारिश की गई है।
खेलों की संसदीय समिति पहले भी साइ में स्टाफ की कमी का मसला उठा चुकी है और कार्यबल ने साइ तथा राज्य खेल विभागों को भारत के खेल प्रशासन की ‘रीढ़ की हड्डी’ बताते हुए कहा कि ‘दोनों संस्थानों को गहरी व्यवस्थित और क्षमता संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो पेशेवरपन, दक्षता और प्रशासन की प्रभावशीलता में बाधा डालती हैं।’
इसमे कहा गया ,’ये कमियां न केवल राष्ट्रीय नीतियों के लागू होने में बाधा डालती हैं बल्कि महासंघों और अन्य हितधारकों के साथ तालमेल को भी कमजोर करती हैं, जिससे भारत की एक आधुनिक, खिलाड़ियों पर केंद्रित खेल इकोसिस्टम बनाने की क्षमता सीमित हो जाती है ।’’
रिपोर्ट में कहा गया कि साइ और प्रदेश विभागों के पास कोई समर्पित खेल प्रशासन सेवा नहीं है और सामान्य प्रशासनिक अधिकारियों या अनुबंध पर रखे गए कर्मचारियों द्वारा ये भूमिकायें निभाई जा रही है जिनके पास विशेष कौशल का अभाव होता है ।
इसमे कहा गया कि इसकी वजह से त्वरित निर्णय लेने का अभाव, संस्थागत निरंतरता और पेशेवरपन में कमी देखी गई है ।
भाषा
मोना पंत
पंत