बतंगड़ः जोश की नहीं होश की जरूरत |

बतंगड़ः जोश की नहीं होश की जरूरत

बतंगड़ः जोश की नहीं होश की जरूरत ! Batangad: We need wisdom not enthusiasm

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Modified Date: May 5, 2025 / 05:17 PM IST
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Published Date: May 5, 2025 5:13 pm IST

-सौरभ तिवारी

अपनी डायलॉग डिलीवरी के लिए मशहूर अभिनेता राजकुमार 90 के दशक की सुपर हिट फिल्म ‘सौदागर’ में अपने प्रतिद्वंद्वी दिलीप कुमार को धमकी भरे लहजे में आगाह करते हुए कहते हैं, ‘ हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे। लेकिन वो बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वक्त भी हमारा होगा।’ भारत भी पाकिस्तान को ‘मारेगा’ जरूर, बस ‘वक्त’ तय होना बाकी है। और ये वक्त कोई और नहीं बल्कि भारत ही तय करेगा।

भारत पहलगाम हमले का बदला लेगा जरूर इसमें तो खुद पाकिस्तान को भी कोई शक-ओ-शुब्हा नहीं है। क्योंकि पाकिस्तान तो खुद इस प्रमाण का भुक्तभोगी है कि ‘ये नया भारत है जो घर में घुसकर मारता है।’ भारत के ‘प्रतिकार’ को लेकर बनी ये अवधारणा इस सरकार के अर्जित यशों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। वरना याद करिए 2013 का वो वाकया जब तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तुलना उस ‘देहाती औरत’ से कर दी थी जो उनकी शिकायत बराक ओबामा से करती रहती है। लेकिन इन 11 सालों में ‘देहाती औरत’ अब उस ‘दबंग औरत’ में तब्दील हो चुकी है जो हमला करने पर अपना रोना रोने कहीं नहीं जाती, बल्कि हमलावर के घर में धुसकर उसे सबक सिखाती है। ये प्रतिकारी भारत ‘याचना नहीं अब रण होगा’ के सूत्रवाक्य पर अमल करने लगा है।

यानी ‘रण’ तो होगा, लेकिन ‘कब’ होगा और उसका स्वरूप ‘कैसा’ होगा ये सबकी उत्सुकता का विषय बना हुआ है। क्या इस बार की लड़ाई का स्वरूप पीओके और बालाकोट पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक के समरूप होगा या इस बार इसका एडवांस वर्जन पेश किया जाएगा, या इस दफा सर्जिकल स्ट्राइक की बजाए सीधे आमने-सामने की जंग ही छेड़ दी जाएगी। सवाल कई हैं लेकिन इसका जवाब सिवाए सरकार और सेना के आला रणनीतिकारों के कोई नहीं जानता। फिलवक्त भारत ‘जंगी मोर्चे’ पर उतरने से पहले ‘मनोवैज्ञानिक मोर्चे’ में बढ़त बनाने में जुटा हुआ है। इसी रणनीति के तहत भारत सामरिक युद्ध छेड़ने से पहले पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक, राजनयिक और आर्थिक नाकेबंदी दुरुस्त कर लेना चाहता है।

पाकिस्तान के खिलाफ की जा रही चौतरफा मोर्चाबंदी के लिए भारत की ओर से ली जा रही ‘वक्त की मोहलत’ कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है। वे इसे भी प्रधानमंत्री मोदी को नीचा दिखाने के मौके के रूप में ले रहे हैं। कोई युद्धक विमान राफेल के खिलौने में नींबू-मिर्च टांगकर तंज कस रहा है तो कोई बांगलादेश के निर्माण में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान को याद करते हुए मौजूदा सरकार की ओर से अब तक युद्ध नहीं छेड़े जाने को उसकी कायरता निरूपित कर रहा है। इस सबके बीच सरकार के रणनीतिकारों के लिए हैरान करने वाली बात एक समुदाय विशेष की राजनीति करने वाली पार्टी के नेता का भारत को लेकर जागा नया नवेला प्रेम भी है। ये बात याद रखनी होगी कि युद्ध के लिए उतावले यही लोग युद्ध छिड़ने के बाद बनने वाले संभावित बुरे हालातों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना अलग मोर्चा खोले बैठे दिखाई देंगे।

दरअसल भारत की असली चुनौती देश में तैनात ‘आधा मोर्चा’ के इन्हीं रंगरूटों से निबटने की है। ये दुश्मनों के वो छद्म सैनिक हैं जिन्हें खास मकसद के साथ देश के अलग-अलग मोर्चे पर रिक्रूट किया गया है। सरकार को चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की वो नसीहत याद है जिसमें उन्होंने सीमा पार पाकिस्तान और चीन के रूप में दो मोर्चों के अलावा देश के अंदर मौजूद आधा मोर्चा के प्रति आगाह किया था। जनरल बिपिन रावत की ओर से दी गई नसीहत पर अमल करते हुए सरकार की रणनीति दुश्मन देश के खिलाफ निर्णायक युद्ध छेड़ने से पहले सभी स्तर पर खुद को चाक चौबंद कर लेने की है। यही वजह है कि सरकार सोशलमीडियायी युद्धवीरों और विरोधी नेताओं की ओर से युद्ध के लिए उकसावी तानाबाजी किए जाने के बावजूद पाकिस्तान के खिलाफ जंग छेड़ने से पहले सभी एक्सरसाइज पूरा कर लेना चाहती है।

सरकार के अब तक के रवैये से ये बात तो साफ हो जाती है कि सरकार इस दफा पाकिस्तान को गहरी चोट देने जा रही है। यही वजह है कि सरकार कोई जल्दबाजी ना दिखाकर पहले अपनी चौतरफा तैयारी को पुख्ता कर लेना चाहती है। पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छिड़ने पर उसके हमदर्द देशों चीन और बांगलादेश की क्या भूमिका रहेगी इसका आकलन किया जाना बेहद जरूरी है। चीन दौरे के दौरान बांगलादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की ओर से भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों की भौगोलिक स्थिति को लेकर की गई टिप्पणी के गहरे खतरनाक संकेत छिपे हैं। बांगलादेश की ओर से भारत के इन उत्तर-पूर्व इलाकों को लैंडलॉक्ड और खुद को समंदर का इकलौता गार्जियन बताये जाने के बाद सुरक्षा विशेषज्ञ की चिंता बढ़ गई है। मोहम्मद यूनुस के इस सनसनीखेज बयान को सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान एक्टिविस्ट शरजील इस्लाम की ओर से दिए गए ‘चिकन नेक’ संबंधी बयान से जोड़ें तो मामला काफी गंभीर नजर आता है। इन तमाम परिस्थितियों को देखते हुए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छिड़ने पर चीन-बांगलादेश गठबंधन और देश में तैनात आधा मोर्चा के गठजोड़ की भूमिका को कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

कुल मिलाकर परिस्थितियों का तकाजा जोश की बजाए होश से आगे बढ़ने का है और भारत सरकार इस पर अमल करती नजर आ रही है।

~ सौरभ तिवारी
(लेखक IBC24 में डिप्टी एडिटर हैं)

 
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